महान समाज सुधारक संत कबीरदास
कबीर की भाषा सधुक्कड़ी एवं पंचमेल खिचड़ी है। इनकी भाषा में हिन्दी भाषा की सभी बोलियों के शब्द सम्मिलित हैं। उनकी रचनाओं में राजस्थानी, हरयाणवी, पंजाबी, खड़ी बोली, अवधी, ब्रजभाषा के शब्दों की बहुलता है। विद्वानों के अनुसार रमैनी और सबद में ब्रजभाषा की अधिकता है तो साखी में राजस्थानी व पंजाबी मिली खड़ी बोली की। 11 जून - संत कबीरदास जयंती पंद्रहवीं सदी के भारतीय रहस्यवादी कवि व संत कबीरदास न केवल समाज में फैली कुरीतियों, कर्मकांड, अंधविश्वास, व्यक्ति पूजा, पाखंड और ढोंग के प्रखर विरोधी, कटु आलोचक और घोर निंदक के रूप में प्रसिद्ध हैं, अपितु भारतीय समाज...