social justice

  • ‘सामाजिक न्याय’ के पीछे मतांतरण का खेल

    जातियों को वर्ण की अभिव्यक्ति से जोड़ना मूर्खता है। श्रीभगवद्गीता में श्रीकृष्ण, अर्जुन को संदेश देते हुए वर्ण को इस प्रकार परिभाषित करते हैं, ‘चातुर्वर्ण्यं मया सृष्टं गुणकर्मविभागश:’ (4:13) अर्थात मेरे द्वारा गुण और कार्य के आधार पर चार वर्णों की रचना की गई है। सच यह है कि औपनिवेशिक और वामपंथी समूह जानबूझकर इस तथ्य को नजरअंदाज कर सामाजिक न्याय की आड़ में समस्या का समाधान नहीं करते, बल्कि अपने भारतविरोधी एजेंडे के लिए उसे और गहरा व जटिल बनाने का प्रयास करते हैं। हाल में कांग्रेस शासित कर्नाटक में विभाजनकारी औपनिवेशिक और वामपंथी नैरेटिव का एक और नमूना...

  • सामाजिक न्याय की पार्टी बनेगी कांग्रेस!

    राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी को सामाजिक न्याय वाली पार्टी बनाने का प्रयास कर रहे हैं। हालांकि इसमें स्वाभाविकता नहीं है। यह एक कृत्रिम प्रयास है, जिसमें कामयाबी की गुंजाइश कम है। फिर भी कांग्रेस में चल रहे प्रयोगों और इसे सामाजिक न्याय वाली पार्टी बनाने के प्रयासों को देखना दिलचस्प है। यह प्रयास दो स्तरों पर हो रहा है। पहला, वैचारिक स्तर पर और दूसरा संगठन के स्तर पर। विचार के स्तर पर राहुल गांधी आक्रामक तरीके से भाजपा को काउंटर कर रहे हैं। भाजपा व आरएसएस को मनुवादी या मनुस्मृति को मानने वाली पार्टी ठहरा कर कांग्रेस को बहुजन...