उपलब्धि है या नाकामी?
दो तिहाई आबादी की रोजमर्रा की जिंदगी सरकारी अनाज या कैश ट्रांसफर से चलती हो, तो क्या किसी सरकार को इसे अपनी उपलब्धि बताना चाहिए? या इसे भारत की राष्ट्रीय परियोजना की घोर नाकामी का सबूत माना जाएगा? केंद्रीय श्रम मंत्री मनसुख मंडाविया ने विश्व श्रम संगठन (आईएलओ) की बैठक में गर्व से बताया कि भारत सरकार आज 94 करोड़ यानी अपने 64.3 प्रतिशत नागरिकों को सामाजिक सुरक्षा दे रही है। मंडाविया के मुताबिक 2019 तक सिर्फ 24.4 प्रतिशत नागरिकों को ऐसी सुरक्षा प्राप्त थी। स्पष्टतः 40 फीसदी नए लोगों जो सामाजिक सुरक्षा मिली, वह हर महीने पांच किलोग्राम मुफ्त...