दक्षिणी राज्यों का केंद्र के खिलाफ क्यों मोर्चा?
मुमकिन है कि दक्षिणी राज्यों की दलील में कुछ अतिशयोक्ति हो, लेकिन निर्विवाद रूप से ये सारी गंभीर शिकायतें हैं। उचित तो यह होता कि केंद्र सरकार संवेदनशीलता दिखाती और दक्षिण से उठ रही शिकायतों को संवाद से दूर करने की कोशिश करती। लेकिन उसका नजरिया हर शिकायत को नजरअंदाज कर उस पर सियासी ध्रुवीकरण शुरू कर देने का है। फिलहाल तो सिर्फ यही कहा जा सकता है कि ऐसी सोच देश के हित में नहीं है। दक्षिणी राज्यों ने अपने साथ वित्तीय ‘अन्याय’ को अब एक बड़ा मुद्दा बना दिया है। लेकिन उनकी शिकायत सुनने के बजाय ऐसा लगता...