हॉरर, मिथ और सिनेमाई जादू
'तुम्बाड' देखना एक ऐसा अनुभव है, जो आपको डराता भी है, सोचने पर मजबूर भी करता है, और सिनेमाई स्तर पर गहरे तक छू जाता है। इसमें छोटी से छोटी चीज़ का भी एक अर्थ है। फ़िल्म की सिनेमेटोग्राफी, सेट डिज़ाइन, और कलर पैलेट- सब आपस में एक गहरे संबंध में बंधे हुए हैं। बारिश, कीचड़ और अंधेरे का उपयोग फ़िल्म के माहौल को और गहराई देता है। यह ऐसा है, जो फिल्म को एक अलग ही स्तर पर ले जाता है। ‘तुम्बाड’ अपनी नैरेटिव की क्लासिकी के लिए भी हमेशा याद रखी जाएगी। हिंदी फ़िल्म उद्योग में 2024 में...