अर्दोआन की जीत, पश्चिम में मायूसी!
तुर्की में मुकाबला आशा और अपरिहार्यता के बीच था। और आखिर में लोगों ने अपनी मजूबरी, अपरिहार्यता राष्ट्रपति अर्दोआन को वापिस जीताया। पश्चिमी देशों का नेतृत्व मन ही मन उम्मीद लगाये बैठा था कि राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन का 20 साल का मनमानीपूर्ण राज ख़त्म हो जायेगा। उदारवादियों में से जो प्रजातंत्र के हामी हैं, उन्हें भी उम्मीद थी कि तुर्की को अर्दोआन की तानाशाही से मुक्ति मिलेगी। परन्तु उम्मीदें तो उम्मीदें होती हैं। वे पूरी हो भी सकतीं हैं और नहीं भी। और इस बार वे फिर पूरी नहीं हुईं। गत 28 मई को तुर्की के राष्ट्रपति चुनाव के...