US-China relations

  • दो नावों पर सवारी का अब विकल्प नहीं

    अमेरिका और चीन के बीच लगतार बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण भू-राजनीति में आमूल बदलाव आ रहा है। हम विश्व अर्थव्यवस्था को आपसी होड़ में शामिल दो खेमों के बीच विखंडित होते देख रहे हैं। उनमें से हर खेमा दुनिया के अधिक से अधिक बड़े हिस्से को अपने रणनीतिक हितों और साझा उसूलों के करीब खींचने की कोशिश कर रहा है। यह विखंडन दो बंटे हुए खेमों में ठोस रूप ले सकता है, जिनका नेतृत्व दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं (अमेरिका और चीन) के हाथ में होगा।’...अब दुनिया भर के देशों को बंटती दुनिया के बीच अपना पक्ष चुनना होगा...पर...

  • रिश्ते के लिए अमेरिका फड़फड़ा रहा या चीन?

    अमेरिका के मंत्री, कूटनीतिज्ञ एक के बाद एक लाइन लगाकर चीन जा रहे हैं। सबसे पहले विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन गए। उनके पीछे वित्त मंत्री जैनेट येलेन गई। फिर राष्ट्रपति बाईडन के जलवायु मामलों के विशेष दूत जान कैरी भी बीजिंग पहुंचे। सभी का मकसद रिश्तों में आई खटास को कम करना था। परंतु इन सबसे जितना शोर हुआ उससे कहीं अधिक शोर सौ साल की उम्र के पूर्व विदेश मंत्री हैनरी किसिंजर की चीन यात्रा से है। एक वजह यह है कि चीन में किसिंजर का स्वागत अमेरिकी प्रशासन के आला मंत्रियों से ज्यादा गर्मजोशी से हुआ। बाकियों के...

  • अमेरिका क्या चीन को देगा बराबरी का दर्जा?

    अमरीकी विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन चीन की यात्रा पर हैं और पूरी दुनिया की इस पर निगाह है। पिछले पांच सालों में चीन की यात्रा करने वाले वे पहले अमेरिकी विदेश मंत्री हैं। उनकी यात्रा चीनी जासूसी गुब्बारों के विवाद के छह महीने बाद हो रही है। गुब्बारों के चलते उनकी यात्रा अचानक स्थगित हो गई थी।इससे पहले से ही चले आ रहे तनावपूर्ण रिश्ते और खराब हो गए थे।दोनों देशों में व्यापार, टेक्नोलॉजी, क्षेत्रीय सुरक्षा जैसे कई मसले हैंजिनको लेकर दोनों सुपर अर्थव्यवस्थाओं के बीच खटपट है। बीजिंग और वाशिंगटन में बैठे ज्ञानी इस यात्रा से किसी बड़ी सफलता...