सोचे, सत्ता मोह त्यागने वाले बाइडन पर!
आखिरकार जो बाइडन मैदान से हट गए हैं –अपनी मर्जी और अपनी शर्तों पर! हालांकि बाइडन अंतिम क्षण तक हिम्मत धारे रहे। टीवी डिबेट में उनके निराशाजनक प्रदर्शन से उनकी लोकप्रियता में आई गिरावट का भी उन्होने हौसले से सामना किया। उन्होंने चारों ओर से उठ रहे शोर का भी मुकाबला किया। अपनी पार्टी के सदस्यों और अपने बेहद करीबी व्यक्तियों का विश्वास और समर्थन भी खोया। लेकिन फिर भी वे चुनाव लड़ने को ले कर दृढ़ रहे। उन्होंने नाटो की शिखर सम्मलेन की अध्यक्षता की। अपनी सकारात्मकता और आक्रामकता दोनों का प्रदर्शन किया।एक तरफ एप्रूवल रेटिंग में लगातार गिरावट...