वैदिक शब्दों से ही हैं लौकिक नाम
भारत सहित वेद व संस्कृत से प्रभावित कई संस्कृतियों में वेद संहिताओं से ही नाम रखने की परंपरा अत्यंत प्राचीन है। वेदों के अध्ययन- अध्यापन की वृहत परंपरा होने के कारण वैदिक शब्द, पद व अभिधान से परिचित जन उन शब्दों का अनुकरण कर नाम,पद अभिधान रखते थे, जो बहुत ही अर्थपूर्ण और उपयुक्त होता था। पाश्चात्य विद्वानों के अनुसार वेदों में मानवीय इतिहास है। लेकिन वेदों के प्रकांड विद्वान स्वामी दयानन्द सरस्वती ने इस भ्रांति को दूर करते हुए वेद के प्रमाण से ही सिद्ध किया कि वेद का मुख्य निहितार्थ परमेश्वर है, और वेद में किसी प्रकार का...