‘वेपन्स’: डर और सोच का संगम
बहुत कम ही आपको ऐसी हॉरर फ़िल्म देखने को मिलती है जो एक साथ कई परतों में बंटी हो, गहरी बेचैनी पैदा करे, गहरी और मनोरंजक हो। हथियार हर कसौटी पर खरे उतरते हैं। चाहे वह एकांत सेटिंग हो, कैमरा वर्क हो या अभिनय, आप इस खौफनाक रहस्य का उतना ही हिस्सा महसूस करते हैं जितना कि किरदार। सिने-सोहबत मनोविज्ञान की दृष्टि से भय को एक प्राकृतिक भाव माना गया है, जिसे जीवन की रक्षा से जोड़ कर देखा जाता है। ये हमें किसी भी ख़तरे से बचाने के लिए सावधान करता है परंतु ये ज़रूरी नहीं कि ये हमेशा...