Yashwant Sinha
यशवंत सिन्हा के लिए हैदराबाद एयरपोर्ट पहुंचे। जबकि प्रधानमंत्री मोदी को सीएम ने रिसीव नहीं किया।
सबको पता है कि राष्ट्रपति पद के विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा चुनाव नहीं जीत पाएंगे। कुल वोट का 30 फीसदी भी वे हासिल कर पाएंगे, इसमें भी संदेह है।
विपक्ष के लगभग सभी बड़े नेता उनके साथ नामांकन दाखिल करने संसद भवन पहुंचे। भाजपा पर निशाना साधा।
तेलंगाना की सत्तारूढ़ टीआरएस ने सोमवार को कहा कि वह राष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी दलों के संयुक्त उम्मीदवार यशवंत सिन्हा का समर्थन…
सिन्हा ने नामांकन पत्रों के चार सेट राज्यसभा के महासचिव पी. सी. मोदी को सौंपे. पी. सी. मोदी राष्ट्रपति चुनाव के लिए निर्वाचन….
यशवंत सिन्हा को विपक्ष ने जिस आनन-फानन तरीके से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया था उस से लगा था कि विपक्षी पार्टियों ने उनका नाम तय करने में ज्यादा विचार विमर्श नहीं किया है।
कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और सपा सहित 13 दलों ने विपक्ष के उम्मीदवार के रूप में यशवंत सिन्हा का नाम तय किया।
शरद पवार, फारूक अब्दुल्ला और गोपाल कृष्ण गांधी के इनकार के बाद यशवंत सिन्हा का नाम चर्चा में है। लेकिन सवाल है कि विपक्ष कैसे उनका समर्थन कर सकता है?
कांग्रेस पार्टी 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर किसी जल्दी में नहीं है। ममता बनर्जी भले उसके लिए बहुत उत्साह दिखा रही हैं लेकिन कांग्रेस को हड़बड़ी नहीं है। कांग्रेस पार्टी अपना समय आने का इंतजार कर रही है। पार्टी को लग रहा है कि अगले साल होने वाले पांच राज्यों के चुनाव के बाद कांग्रेस की स्थिति बदल जाएगी।
विपक्ष के नेताओं का म्यूजिकल चेयर चल रहा है। सारे नेता एक आभासी कुर्सी के ईर्द-गिर्द संगीत की धुन पर चक्कर लगा रहे हैं। कुछ दिन पहले तक विपक्ष को एकजुट करने का प्रयास कर रहे नेता शरद पवार थे।
ममता बनर्जी ने पूर्व आईएएस अधिकारी जवाहर सरकार को राज्यसभा में भेजने का फैसला किया है। पहले कहा जा रहा था कि यशवंत सिन्हा या मुकुल रॉय को वे उच्च सदन में भेजेंगी।
केंद्र में मंत्री बनाए गए सर्बानंद सोनोवाल को भी राज्यसभा में जाना है क्योंकि वे अभी किसी सदन के सदस्य नहीं हैं। फिर उनके लिए असम में खाली हुई सीट पर उपचुनाव की घोषणा क्यों नहीं की गई?
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद को उस सीट से उच्च सदन में भेजा जा सकता है। हालांकि मिलिंद देवड़ा से लेकर संजय निरूपम, राजीव शुक्ला और रणदीप सुरजेवाला तक कई और भी दावेदार हैं। तमिलनाडु में खाली हुई तीन में से एक सीट कांग्रेस को मिलेगी।
complaint of kayastha leaders : एक समय था, जब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में चार कायस्थ मंत्री होते थे। देश में कुल चार कायस्थ सांसद थे- यशवंत सिन्हा, शत्रुघ्न सिन्हा, रविशंकर प्रसाद और रीता वर्मा और चारों केंद्र में मंत्री थे। आज दो कायस्थ सांसद हैं और दोनों सरकार से बाहर हैं। रविशंकर प्रसाद को केंद्रीय मंत्री पद से हटाए जाने के बाद अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के अध्यक्ष सुबोधकांत सहाय ने एक प्रेस बयान जारी करके कहा कि सभी पार्टियां कायस्थ समाज का अपमान कर रही हैं। complaint of kayastha leaders : उन्होंने भाजपा पर खासतौर से निशाना साधा और आरके सिन्हा को दोबारा राज्यसभा नहीं देने, जयंत सिन्हा को मंत्री नहीं बनाने और रविशंकर प्रसाद को मंत्रिमंडल से हटा देने का जिक्र किया। ध्यान रहे कायस्थ भाजपा का कोर वोट है लेकिन कायस्थ नेताओं का कहना है कि भाजपा इस पढ़े-लिखे वर्ग के नेताओं की अनदेखी कर रही है। Priyanka Gandhi तीन दिन के लखनऊ दौरे पर, पार्टी कार्यकर्ताओं को देंगी चुनावी मंत्र इस बीच ऐसा लग रहा है कि ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस कायस्थ नेताओं की पहली पसंद बन रही है। भाजपा के पूर्व नेता और पूर्व वित्त व विदेश मंत्री रहे यशवंत सिन्हा ने… Continue reading कायस्थ नेताओं की शिकायत और टीएमसी
शरद पवार और विपक्ष : शरद पवार के घर पर कुछ विपक्षी पार्टियों और कुछ जाने-माने नागरिकों की जो बैठक हुई है उसका मकसद समझना मुश्किल नहीं है। बैठक के बाद भले पवार की पार्टी के नेता कहें कि यह बैठक उन्होंने नहीं बुलाई थी या यह कोई राजनीतिक बैठक नहीं थी लेकिन हकीकत सबको पता है। यह 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले देश में लोगों के सामने एक विकल्प पेश करने, एक अलग विचारधारा दिखाने और देश के लोगों को एक अलग कहानी सुनाने के मकसद से हुई। आगे इसका स्वरूप और स्पष्ट होगा। थोड़े दिन के बाद यह भी साफ होगा कि इस समूह के नेता कांग्रेस के नेतृत्व वाले दूसरे मोर्चे का साथ किस तरह का चुनावी तालमेल करेंगे। यह भी पढ़ें: महाराष्ट्र में चुनाव की क्या जल्दी है? लेकिन उससे पहले सवाल है कि क्या इस समूह में ( शरद पवार और विपक्ष) कोई चेहरा ऐसा है, जो उम्मीद जगा सके या देश के लोगों को भरोसा दिलाए? यह प्रयास कुछ कुछ वैसा ही है जैसा 2011 में अरविंद केजरीवाल ने किया था। उन्होंने इसी तरह देश भर के सामाजिक कार्यकर्ताओं को और जाने-माने लोगों को एक जगह इकट्ठा किया था और इंडिया अगेंस्ट करप्शन… Continue reading शरद पवार और विपक्ष : उम्मीद, भरोसा किस चेहरे से?