political funding

  • प्रजा जब आज्ञाकारी तो चुनावी चंदे का हिसाब क्यों?

    केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि जनता को यह जानने का हक नहीं है कि राजनीतिक दलों मतलब भाजपा को मिलने वाला चंदा कहां से आ रहा है, कौन दे रहा है! इतना ही नहीं केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को यह भी चेतावनी दी है कि वह नीतिगत मामलों में हस्तक्षेप नहीं करे। अर्थात इलेक्टोरल बांड के नियम आदि बनाने या समझने की कोशिश नहीं करे।... अब प्रगति का अर्थ भी बदल दिया गया है। बताया जाता है कि मोदी जी आप पर जो शासन कर रहे हैं वह आपका सौभाग्य है। हर हर मोदी का...

  • चंदे का स्रोत नागरिकों को जरूर बताया जाए

    यह कमाल की बात है, जो सरकार भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन की लहर पर चुनाव जीती और जिसने सार्वजनिक जीवन में सम्पूर्ण पारदर्शिता सुनिश्चित करने का वादा किया वह सुप्रीम कोर्ट में कह रही है कि देश के नागरिकों को यह जानने का अधिकार नहीं है कि राजनीतिक दलों को कहां से चंदा मिलता है और कौन कितना चंदा देता है! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने को फकीर बताते हैं, उन्होंने ‘न खाऊंगा, न खाने दूंगा’ का नारा दिया और हर राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मंच से बताते हैं कि भारत ‘मदर ऑफ डेमोक्रेसी’ है लेकिन उनके सबसे बड़े कानूनी अधिकारी ने सुप्रीम...