सर्वजन पेंशन योजना
  • गालियों की इंतहा

    राजू श्रीवास्तव अपने कई कार्यक्रमों में यह लतीफ़ा सुनाते थे कि कौन-कौन सी बड़ी फिल्मों में हीरो की भूमिका पहले उन्हें मिल रही थी, लेकिन उनकी अम्मा ने मना कर दिया तो वे उन फिल्मों में काम नहीं कर सके। उसके बाद उन फिल्मों में अमिताभ बच्चन इत्यादि को हीरो लेकर काम चलाया गया। एक निर्देशक के बारे में वे कहते कि जब उनका प्रस्ताव आया तो उन्होंने अम्मा को फोन करके बताया कि हमें फलानी पिक्चर मिली है, मगर उसमें गालियां बहुत हैं। अम्मा बोलीं, यह तुम्हारी पहली पिक्चर होगी, उसमें इतनी गाली-गलौच होगी तो लोग क्या कहेंगे, डायरेक्टर...

  • बहुत सही कहा अनमोल अंबानी ने!

    अब तक राजीव बजाज यह कहते रहे थे कि लॉकडाउन बिना सोचे-समझे किया गया एक गलत फैसला था, जिसने देश की अर्थव्यवस्था को गर्त में पहुंचा दिया। यही बात अब अनिल अंबानी के बेटे अनमोल अंबानी ने कही है। राजीव बजाज का कहना समझ में आता है क्योंकि वे राहुल बजाज के बेटे हैं और जमनालाल बजाज के पोते हैं। उनका परिवार आजादी की लड़ाई में शामिल था और सच कहने की विरासत उनके डीएनए में है। लेकिन हैरानी की बात है कि जिस अनिल अंबानी की वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सर्वाधिक बदनाम हुए, उनके ऊपर राफेल सौदे में...

  • संघीय व्यवस्था के लिए चुनौती

    केंद्र सरकार देश की संघीय व्यवस्था के लिए लगातार चुनौती खड़ी करती जा रही है। मुख्य विरोधी कांग्रेस और अन्य क्षेत्रीय पार्टियों के साथ टकराव की वजह से संघीय व्यवस्था के सुचारू संचालन के रास्ते में लगातार बाधा आ रही है। लगातार होते चुनाव को इसका एक कारण माना जा सकता है। हर साल किसी न किसी राज्य में चुनाव होता है और हर चुनाव भाजपा की ओर से खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लड़ते हैं। उस राज्य में अगर कांग्रेस या किसी क्षेत्रीय पार्टी की सरकार है तो पार्टी के साथ साथ सरकार से भी टकराव बना दिया जाता है।...

  • ऐतिहासिक बजट कैसा होगा?

    वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और दूसरा बजट तैयार कर रही हैं। उनके पहले बजट ही हाईलाइट यह थी कि चमड़े के ब्रीफकेस की बजाय वे झोले में बजट लेकर संसद पहुंची थीं। इसके अलावा उस बजट में कुछ खास नहीं था। उस बजट में जितनी बातें थीं, उससे ज्यादा तो निर्मला सीतारमण बजट के बाद कोरोना वायरस की महामारी के बीच कर चुकी हैं। बजट से ज्यादा घोषणाएं मई-जून के महीने में हुईं। बजट से ज्यादा सुधार साल के मध्य में हुए। सरकार ने समूचे कृषि सेक्टर को बदल दिया। तीन ऐसे सुधार किए, जिनके खिलाफ देश के किसान आंदोलन...

  • दबाव में किसान नहीं झुकेंगे!

    केंद्रीय कृषि मंत्री ने कमाल की बात कही है। उन्होंने केंद्रीय कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के साथ वापस बातचीत की बहाली का न्योता भेजने के बाद कहा कि प्रधानमंत्री के ऊपर दबाव काम नहीं करता है। यानी प्रधानमंत्री दबाव में कोई फैसला नहीं करते हैं और दबाव में झुकने वाले नहीं हैं। तो क्या कृषि और किसान कल्याण मंत्री यह मान रहे हैं कि आंदोलनकारी किसान दबाव में झुक जाएंगे और सरकार की ओर से बनाए जा रहे दस किस्म के दबावों में आकर आंदोलन वापस ले लेंगे? अगर ऐसा है तो यह सरकार की गलतफहमी लग...

  • सरकार कैसी आर्थिकी बनाना चाहती है ?

    want to make economy : नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने एक कार्यक्रम में कहा कि भारत में बहुत ज्यादा लोकतंत्र है, जिसकी वजह से कड़े सुधारों लागू करने में मुश्किल आती है। उन्होंने इस कार्यक्रम में देश की भविष्य की अर्थव्यवस्था और देश की आर्थिकी को लेकर इस सरकार के विजन के बारे में भी बहुत कुछ कहा। लेकिन ‘टू मच डेमोक्रेसी’ वाले उनके बयान पर इतना विवाद हो गया कि बाकी बातों पर किसी का ध्यान नहीं गया। उनकी बाकी बातें भी इससे कम महत्वपूर्ण नहीं हैं। आखिर वे एक ऐसी संस्था के सीईओ हैं, जिसके अध्यक्ष...

  • आंदोलनकारियों की कौन सुन रहा है?

    केंद्र सरकार के बनाए तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों को आंदोलन करते 20 दिन हो गए। शुरू में सरकार ने किसानों से बातचीत भी की पर पिछले एक हफ्ते से कोई वार्ता नहीं हुई है। गतिरोध बना हुआ है और सरकार के अपने कामकाज रूटीन के अंदाज में चल रहे हैं। किसान अपनी खेती-बाड़ी छोड़ कर दिल्ली की सीमा पर बैठे हैं। रबी की फसल का समय चल रहा है और कम से कम चार राज्यों के किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। दस डिग्री वाली ठंड में प्रदर्शन कर रहे किसानों में से कम से कम एक दर्जन...

  • बैंकिंग का क्या नया दौर शुरू होगा?

    अगर किसी से पूछा जाए कि भारत में इस समय सबसे ज्यादा संकट किस सेक्टर में हैं तो ज्यादातर लोगों का जवाब होगा- बैंकिंग सेक्टर में। बैंकों की हालत लगातार खराब हो रही है और सिर्फ कोरोना वायरस की महामारी के कारण नहीं खराब नहीं हो रही है, बल्कि उससे बहुत पहले से खराब होने लगी थी और अब लाखों करोड़ रुपए के सरकार के आर्थिक पैकेज की वजह से और ज्यादा खराब हो रही है। क्योंकि सरकार ने लाखों करोड़ रुपए का जो पैकेज दिया है वह सब कर्ज बांटने का पैकेज है। इससे बैंकों की हालत और ज्यादा...

  • मंडल के साए में आखिरी चुनाव?

    तो क्या यह माना जाए कि बिहार में इस बार हुआ विधानसभा का चुनाव मंडल राजनीति के साए में हुआ आखिरी चुनाव है और पोस्ट मंडल राजनीति शुरू हो गई है? इस निष्कर्ष पर पहुंचना अभी जल्दबाजी होगी। हालांकि बहुत से राजनीतिक विश्लेषक इस नतीजे पर पहले ही पहुंच चुके हैं। वे चुनाव प्रचार के दौरान राष्ट्रीय जनता दल के नेता और महागठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री पद के दावेदार तेजस्वी यादव की सभाओं में जुट रही भीड़ को देख कर ही कहने लगे थे कि यह पोस्ट मंडल राजनीति की शुरुआत है। युवा तेजस्वी के साथ हैं। तेजस्वी ने...

  • जीत तो नीतीश की ही मानेंगे

    बिहार विधानसभा में एनडीए की जीत किसकी जीत है? इस पर बहस हो रही है। हालांकि कायदे से इस पर बहस नहीं होनी चाहिए। क्योंकि एनडीए ने नीतीश कुमार के चेहरे पर चुनाव लड़ा था और उन्हीं को फिर से मुख्यमंत्री बनाने के लिए वोट मांगा था। इसलिए जीत को नीतीश कुमार की ही मानी जानी चाहिए। लेकिन ज्यादा सीटें जीतने के दम पर भाजपा की ओर से भी ऐसा दावा किया जा रहा है कि यह भाजपा की और नरेंद्र मोदी की जीत है तो कुछ मीडिया समूह और राजनीतिक विश्लेषक यह साबित करने में लगे हैं कि नीतीश...

  • कोरोना की दूसरी लहर शुरू!

    भारत में क्या कोरोना वायरस की दूसरी लहर शुरू हो गई? देश की स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े और इस वायरस महामारी से लड़ाई में सक्रिय भूमिका निभा रहे डॉक्टरों का कहना है कि देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर शुरू हो गई। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स दिल्ली के निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि दिल्ली में कोरोना वायरस की दूसरी लहर शुरू हो सकती है। दिल्ली में संक्रमण के केसेज में लगातार हो रही बढ़ोतरी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जिस तरह से दिल्ली में संक्रमण के मामले बढ़ने लगे हैं, उस तरह से...

  • आखिर किसको पैकेज का लाभ?

    यक्ष प्रश्न है कि भारत सरकार ने कोरोना वायरस से राहत के लिए जो दो आर्थिक पैकेज घोषित किए उसका लाभ किसको मिला है? खबर है कि सरकार तीसरे राहत पैकेज की तैयारी कर रही है और पिछले दिनों इस सिलसिले में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी से बात हुई है। इस पैकेज को लेकर भी कोई स्पष्टता नहीं है पर कहा जा रहा है कि इस बार सरकार डिमांड बढ़ाने वाले कुछ कदम उठा सकती है। अगर ऐसा होता है तो अच्छा होगा क्योंकि इससे पहले के पैकेज सप्लाई साइड को मजबूत करने वाले थे।...

  • त्योहार सावधानी से पर चुनाव नहीं !

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर समूचे सरकारी तंत्र ने त्योहारों को कोरोना वायरस के संक्रमण की मूल वजह माना है और लोगों को आगाह किया है कि वे त्योहार सावधानी से मनाएं। यह अलग बात है कि किसी ने यह अपील नहीं कि है कि चुनाव सावधानी से लड़े जाएं। लोग रैलियों में न जाएं। नेता प्रचार के लिए आएं तो उनसे दूरी रखें। यहां तक कि यह भी अपील नहीं की जा रही है कि नेता मास्क पहनें। बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव टार्जन बन कर घूम रहे हैं। उन्होंने दिखावे भर के लिए भी मास्क नही...

  • बांग्लादेश का विकास भारत के लिए भी अच्छा!

    भारत में इन दिनों बांग्लादेश के विकास को लेकर बहस छिड़ी है। प्रति व्यक्ति जीडीपी में बांग्लादेश के भारत से आगे निकलने और कोरोना महामारी के समय में अर्थव्यवस्था की विकास दर सकारात्मक बनाए रखने को लेकर बांग्लादेश की तारीफ हो रही है। राहुल गांधी उसके साथ भारत की तुलना कर रहे हैं। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और ग्लोबल हंगर इंडेक्स के जरिए बांग्लादेश के मुकाबले भारत को फिसड्डी बताते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साधा। इस बात  के लिए राहुल भाजपा नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों के निशाने पर हैं। कहा जा रहा है कि बांग्लादेश से भारत की तुलना...

  • ऐसे राहत पैकेज से कुछ नहीं होगा

    कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों को बड़ा तोहफा दिया है। त्योहारों का सीजन शुरू होने से पहले केंद्र ने अपने कर्मचारियों के हाथ में नकदी देने का फैसला किया है ताकि बाजार में मांग बढ़ाई जा सके। पर क्या सचमुच सरकार ने कर्मचारियो को कोई तोहफा दिया है? कहीं ऐसा तो नहीं है कि यह तोहफा व्हाइट गुड्स बनाने और बेचने वाली कंपनियों के लिए हो, खास कर ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए? वैसे भी वित्त मंत्री की ओर से कथित तोहफा देने से पहले केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्री ने लोगों को हिदायत दे...

  • क्या कोरोना अब खत्म हो रहा है?

    भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों से लेकर अनेक स्वतंत्र विशेषज्ञ मानने लगे हैं कि भारत में कोरोना वायरस का पीक आ गया और अब संक्रमितों की संख्या घटनी शुरू हो गई है। इसका मतलब है कि जल्दी ही संक्रमण का कर्व फ्लैट यानी समतल होना है। सरकार के नीति निर्धारकों ने ग्राफ सपाट होने की बात मई में ही कही थी पर उस समय ग्राफ सपाट होने की बजाय लगातार ऊपर जाता गया था। लेकिन अब संक्रमितों की संख्या सचमुच कम हो रही है और लगातार 12 दिन तक नए संक्रमितों की संख्या से ज्यादा मरीज ठीक हुए।...

  • गांधी मूल्यों की ज्यादा जरूरत

    अभी यह कहना थोड़ी जल्दबाजी होगी और अतिश्योक्तिपूर्ण भी कि अमेरिका गृह युद्ध के मुहाने पर खड़ा है। परंतु राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से गोरों के नस्ली वर्चस्ववाद को जिस तरह से संरक्षण मिल रहा है, उसमें अगर ट्रंप फिर से राष्ट्रपति बनते हैं तो अमेरिकी समाज बुरी तरह से बंटेगा और सामाजिक संघर्ष बढ़ेंगे। राष्ट्रपति ट्रंप ने पहले प्रेसिडेंशियल डिबेट में गोरे नस्ली वर्चस्ववादियों की आलोचना करने से इनकार कर दिया। इस तरह से उन्होंने उनका समर्थन किया। असल में नस्ली भेदभाव अमेरिका की दुखती रग है, जिस पर ट्रंप ने हाथ रखा है। चुनाव जीतने के लिए...

  • सीएजी के उठाए मुद्दे गंभीर हैं

    केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद संभवतः पहली बार किसी संवैधानिक संस्था ने सरकार के कामकाज पर सवाल उठाए हैं। आमतौर पर संवैधानिक संस्थाओं का काम सरकार के फैसले पर मुहर लगाने का हो गया है। पर नियंत्रक व महालेखा परीक्षक, सीएजी ने सरकार के कई फैसलों पर सवाल उठाए हैं। सीएजी के उठाए मुद्दे गंभीर हैं और पूरी गंभीरता से इनकी छानबीन होनी चाहिए। सरकार के मंत्रियों के बयानों के आधार पर इन मुद्दों को रफा-दफा करने का प्रयास नहीं किया जाना चाहिए। सीएजी ने जो मुद्दे उठाए हैं, वे राष्ट्रीय महत्व के हैं और अगर...

  • श्रम कानूनों में बदलाव से किसका फायदा?

    शिक्षा और कृषि का ‘कल्याण’ करने के बाद केंद्र सरकार ने मजदूरों के ‘कल्याण’ का बीड़ा उठाया है। इसके लिए विपक्ष की गैरहाजिरी में बिना बहस कराए केंद्र सरकार ने तीन लेबर कोड बिल पास कराए हैं। सरकार ने तीन विधेयकों- इंडस्ट्रियल रिलेशन कोड बिल 2020, सोशल सिक्योरिटी कोड बिल 2020 और ओक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन बिल 2020 में 29 श्रम कानूनों का विलय करा दिया है। यानी 29 छोटे-बड़े कानूनों या नियमों को एक साथ मिल कर तीन कानून बनाए गए हैं। सरकार कह रही है कि इन कानूनों से मजदूरों का बहुत भला होने वाला है।...

  • आंकड़े नहीं होना कोई बचाव नहीं है!

    केंद्र सरकार हर बात पर कह रही है कि उसके पास आंकड़े नहीं है। संसद के मॉनसून सत्र में सरकार ने जितनी चीजों के बारे में यह बात कही है उसे सुन कर हैरानी होती है। हार्ड वर्क करने वाली सरकार अगर आंकड़े नहीं जुटा रही है तो किस काम में हार्ड वर्क कर रही है? भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि कोरोना वायरस के संकट के समय भाजपा ने 25 करोड़ फूड पैकेट बांटे, पांच करोड़ राशन किट बांटी गई और एक करोड़ मास्क बांटे गए। नंबर के लिहाज से यह एकदम सटीक आंकड़ा पेश किया...

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