राज्य-शहर ई पेपर व्यूज़- विचार

गालियों की इंतहा

राजू श्रीवास्तव अपने कई कार्यक्रमों में यह लतीफ़ा सुनाते थे कि कौन-कौन सी बड़ी फिल्मों में हीरो की भूमिका पहले उन्हें मिल रही थी, लेकिन उनकी अम्मा ने मना कर दिया तो वे उन फिल्मों में काम नहीं कर सके। उसके बाद उन फिल्मों में अमिताभ बच्चन इत्यादि को हीरो लेकर काम चलाया गया। एक निर्देशक के बारे में वे कहते कि जब उनका प्रस्ताव आया तो उन्होंने अम्मा को फोन करके बताया कि हमें फलानी पिक्चर मिली है, मगर उसमें गालियां बहुत हैं। अम्मा बोलीं, यह तुम्हारी पहली पिक्चर होगी, उसमें इतनी गाली-गलौच होगी तो लोग क्या कहेंगे, डायरेक्टर से कहो कि गालियां हटा दे। राजू ने जवाब दिया, अम्मा हम कह के देख चुके हैं, वह कहता है कि हम गालियों के लिए ही तो फिल्म बना रहे हैं, उन्हें कैसे हटा दें?

परदे पर गालियों का मुद्दा हाल में दिल्ली हाईकोर्ट के सामने आया। एक निचली अदालत ने टीवीएफ़ मीडिया की वेब सीरीज़ ‘कॉलेज रोमांस’ में गालियों की भरमार को लेकर उसके मुख्य कलाकारों और उसके कास्टिंग डायरेक्टर के खिलाफ केस दर्ज करने के आदेश दिए थे। ये लोग उस आदेश पर रोक लगाने की गुजारिश लेकर हाईकोर्ट आए थे। जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने इन लोगों को गिरफ्तारी से तो राहत दे दी, लेकिन केस दर्ज करने पर कोई रोक नहीं लगाई। उलटे केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह भाषा की अश्लीलता के मामले में अपने नियमों को सख्ती से लागू करे। यूट्यूब जहां यह वेब सीरीज़ उपलब्ध है, उससे भी इस मामले में कार्रवाई करने को कहा गया है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह फिल्मों और खास कर वेब सीरीज़ में गालियों का अकेला उद्धरण है? बहुत कम वेब सीरीज़ ऐसी हैं जिनमें गालियां नहीं हैं या थोड़ी हैं। असलियत यह है कि भाषा में अश्लीलता के सभी मामलों में केस दर्ज होने लगें तो हमारी आधी फिल्म इंडस्ट्री अभियुक्त हो जाएगी। कुछ निर्माता-निर्देशक तो, जैसा कि राजू श्रीवास्तव कहते थे, शायद गालियों के लिए ही वेब सीरीज़ बना रहे हैं।

Tags :

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

और पढ़ें