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तहरीक ए हुर्रियत पर पाबंदी

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर के एक और संगठन पर भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल होने की वजह से पाबंदी लगा दी है। केंद्र ने रविवार को पाकिस्तान समर्थक अलगाववादी समूह तहरीक ए हुर्रियत, टीईएच पर पाबंदी का ऐलान किया है। सरकार ने कहा है कि यह संगठन  केद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने और भारत विरोधी प्रचार में शामिल है। इसक अलावा यह भी कहा गया है कि यह संगठन इस्लामिक राज की स्थापना के लिए काम करता है।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तहरीक ए हुर्रियत पर पाबंदी की घोषणा करते हुए कहा कि संगठन को जम्मू कश्मीर में अलगाववाद को बढ़ावा देने, आतंकवादी गतिविधियों को जारी रखने और भारत विरोधी दुष्प्रचार करते हुए पाया गया। अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा- तहरीक ए हुर्रियत, जम्मू कश्मीर को गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम कानून, यूएपीए के तहत एक गैरकानूनी संगठन घोषित किया गया है। यह संगठन जम्मू कश्मीर को भारत से अलग करने और इस्लामिक शासन स्थापित करने की निषिद्ध गतिविधियों में शामिल है।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा- पीएम मोदी की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति के तहत, भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति या संगठन को तुरंत बैन कर दिया जाएगा। गौरतलब है कि पाकिस्तान समर्थक इस समूह का नेतृत्व पहले दिवंगत अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के हाथों में था। इसके बाद इसकी कमान मसर्रत आलम भट के पास आ गई। भट पर पहले भी भारत विरोधी और पाकिस्तान के समर्थन में एजेंडा चलाने का आरोप लगा है। मसर्रत भट फिलहाल जेल में है और उसकी पार्टी मुस्लिम लीग ऑफ जम्मू कश्मीर को 27 दिसंबर को प्रतिबंधित संगठन घोषित किया गया था।

बहरहाल, भारत सरकार ने अधिसूचना जारी कर तहरीक ए हुर्रियत संगठन के बारे में जानकारी दी है। इसमें बताया गया है कि यह संगठन जम्मू कश्मीर में अलगाववादी विचारधारा फैला रहा है। संगठन से जुड़े लोग आतंकवादियों की मौत पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं। साथ ही पत्थरबाजी की घटनाओं को भी बढ़ावा देते हैं। इस संगठन के लोग कश्मीर को भारत से अलग मानते हैं और देश की कानून व्यवस्था का पालन नहीं करते।

गौरतलब है कि सैयद अली शाह गिलानी ने साल 2004 में जमात ए इस्लामी कश्मीर छोड़ दी थी और सात अगस्त 2004 को तहरीक ए हुर्रियत संगठन की स्थापना की। यह एक अलगाववादी संगठन है, जिसका मकसद जम्मू कश्मीर की कथित आजादी के लिए आंदोलन करना है। इससे पहले केंद्र सरकार ने 27 दिसंबर को मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर मसर्रत आलम ग्रुप को भी यूएपीए के तहत गैरकानूनी घोषित कर दिया था।

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