नई दिल्ली। चंडीगढ़ मेयर चुनाव के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है। सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि लोकतंत्र की हत्या हुई है। इसके साथ ही अदालत ने यह भी कहा कि पीठासीन अधिकारी पर मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए। इसके बाद अदालत ने मेयर चुनाव के सारे रिकॉर्ड को सुरक्षित रखने के आदेश दिए। सर्वोच्च अदालत ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को सभी रिकॉर्ड सुरक्षित करने को कहा है। आम आदमी पार्टी के एक पार्षद की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने ये नोटिस जारी किया। अगली सुनवाई 12 फरवरी को होगी।
सोमवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पीठासीन अधिकारी को कड़ी फटकार लगाई। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा- रिटर्निंग अफसर ने जो किया वो लोकतंत्र की हत्या जैसा है। वीडियो में साफ दिख रहा है कि वो कैमरे में देख रहा है और बैलेट पेपर को खराब कर रहा है। इस अफसर पर कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव की पवित्रता बरकरार रखने के लिए चंडीगढ़ मेयर चुनाव की डिटेल पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार के पास जमा होंगे। हम लोकतंत्र की हत्या नहीं होने देंगे।
इससे पहले वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने कोर्ट में बहस की शुरुआत की। सिंघवी ने कोर्ट में एक पेन ड्राइव दी, जिसमें चुनाव की वीडियोग्राफी की फुटेज थी। सिंघवी ने कहा- हम 20 थे, बीजेपी 16 थी। वोटिंग में 36 लोग वोट करते हैं। ऑफिसर ने आठ लोगों को अयोग्य करार दिया। ये सभी लोग हमारे थे। 20 घट कर 12 हो जाता है। हाई कोर्ट ने बैलेट को सुरक्षित नहीं रखा, बल्कि तीन हफ्ते के लिए नोटिस जारी किया। हाई कोर्ट के इसी आदेश के खिलाफ याचिका दी गई थी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की।
इससे पहले हाई कोर्ट ने चंडीगढ़ में नए सिरे से मेयर चुनाव की मांग पर कोई भी अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने इस मामले पर सुनवाई की। याचिका में मेयर चुनाव की प्रक्रिया को रद करने, चुनाव से जुड़ा पूरा रिकार्ड सील करने, मेयर के पदभार संभालने पर रोक लगाने, पूरी चुनावी प्रक्रिया में हुई धांधली की जांच कराने और नए सिरे से हाई कोर्ट के रिटायर जज की निगरानी में चुनाव करवाने का निर्देश जारी करने की मांग की गई है।