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उत्तर प्रदेश में कैदियों ने लिखी कामयाबी की इबारत, 10वीं में 95 फीसद सफलता

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की जेलों (jail) में बंद 10वीं की बोर्ड परीक्षा देने वाले 95 प्रतिशत कैदियों (prisoner) ने परीक्षा (exam) पास कर ली है। साथ ही 12वीं की परीक्षा में सफलता की यह दर 70 प्रतिशत से अधिक रही।

माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश (Board of Secondary Education Uttar Pradesh ) ने पिछले महीने 25 अप्रैल को कक्षा 10 और कक्षा 12 की बोर्ड परीक्षा के परिणाम घोषित किए थे। जेल विभाग के अधिकारियों अनुसार, 10वीं की परीक्षा में बैठने वाले 60 कैदियों में से 57 ने इसमें कामयाबी हासिल की, जबकि प्रथम श्रेणी के अंक हासिल करने वालों का प्रतिशत 82.40 रहा। इसी तरह, 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा में शामिल हुए 64 कैदियों में से 45 यानी 70.30 फीसदी ने परीक्षा पास की। इनमें से छह कैदियों (13.30 प्रतिशत) ने प्रथम श्रेणी के अंक हासिल किए। उन्होंने बताया कि 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा में फिरोजाबाद जिला जेल के सभी छह कैदी प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए। इसी तरह, लखनऊ जिला जेल के सभी पांच और शाहजहांपुर जिला जेल के सभी चार बंदियों ने भी प्रथम श्रेणी में परीक्षा उत्तीर्ण की।

आगरा जिला जेल, सहारनपुर जिला जेल, कानपुर नगर जिला जेल, आगरा सेंट्रल जेल और मुरादाबाद जिला जेल के दो-दो कैदियों ने भी प्रथम श्रेणी हासिल की है। एटा जेल, मैनपुरी जेल, वाराणसी जेल और बिजनौर जेल से एक-एक कैदी ने प्रथम श्रेणी के अंकों के साथ कक्षा 10 की परीक्षा पास की है। कक्षा 12 की बोर्ड परीक्षा में बरेली सेंट्रल जेल ने सबसे अच्छा प्रदर्शन किया, जहां पांच कैदियों में से तीन प्रथम श्रेणी के अंकों के साथ परीक्षा में उत्तीर्ण हुए। गाजियाबाद जिला जेल, लखनऊ जिला जेल और रायबरेली जिला जेल से एक-एक कैदी ने प्रथम श्रेणी के अंक हासिल किए।

जेलों में कैदियों के पढ़ने की व्यवस्था के बारे में एक वरिष्ठ जेल अधिकारी ने कहा कि बोर्ड की परीक्षा में शामिल होने वाले कैदी फॉर्म भरते हैं। हमारी कुछ जेलों में परीक्षा केंद्र भी बनाए गए हैं क्योंकि कैदियों को परीक्षा देने के लिए बाहर जाने की अनुमति नहीं है। इस बार 10 जेलों में परीक्षा केंद्र बनाए गए थे। उन्होंने कहा कि जेलों में पढ़ने वाले कैदियों को जेल नियामावली के अनुसार हल्का शारीरिक कार्य कराया जाता है, ताकि उन्हें पढ़ाई के लिए समय मिल सके। बोर्ड परीक्षाओं के दौरान, उन्हें काम से छूट दी जाती है। उन्हें जेल में किताबें और अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराई जाती है। जेल में पुस्तकालय भी हैं जहां से वे अध्ययन सामग्री ले सकते हैं।’’

अधिकारी ने बताया कि जो कैदी 12वीं कक्षा पास कर चुके हैं और उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं उनके लिए जेलों में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) के केंद्र स्थापित किए गए हैं। अगर कोई व्यक्ति जो स्नातक या किसी अन्य उच्च पाठ्यक्रम का अध्ययन कर रहा है और उसे जेल भेजा गया है, तो हम जेल में उसके कार्यकाल के दौरान उसकी पढ़ाई और परीक्षा की व्यवस्था करते हैं।

पुलिस महानिदेशक (कारागार) एस. एन. साबत ने कहा कि पढ़ाई नियमित होती है और इसके लिए माहौल अच्छा है। अधिकांश जेलों में शिक्षक हैं। जिन जेलों में शिक्षक नहीं हैं, वहां जेल के कर्मी कैदियों को पढ़ाते हैं। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास शिक्षा के प्रति माहौल को बढ़ावा देना है। कैदियों को नैतिक शिक्षा भी प्रदान की जा रही है ताकि वे अच्छे नागरिक बन सकें।

जेल राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मवीर प्रजापति ने कहा कि हमने कैदियों पर ध्यान दिया है। मानवीय दृष्टि से काम किया है ताकि जो कैदी पढ़ना चाहते हैं वे पढ़ सकें। हमने विभिन्न जेलों के कैदियों को कौशल विकास से भी जोड़ा है। ऐसे कई युवा हैं जो किसी न किसी कारण से जेल में है और वे आगे पढ़ना चाहते हैं, तो उन्हें इसका मौका दिया जाता है।

जेल विभाग के अधिकारियों के अनुसार, बरेली सेंट्रल जेल में हत्या के एक मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे सीतापुर निवासी ओंकार सिंह ने 10वीं की बोर्ड परीक्षा में 600 में से 503 अंक हासिल किए थे और सभी बंदियों में अव्वल रहा।

बरेली सेंट्रल जेल के एक और कैदी छोटेलाल ने 12वीं की परीक्षा में 500 में से 367 अंक हासिल किए। वह भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए (महिला के पति या पति के रिश्तेदार के साथ क्रूरता) और 304बी (दहेज हत्या) के तहत दर्ज मामले में 10 साल की सजा काट रहा है। एक अन्य सजायाफ्ता नईमा ने 10वीं कक्षा की परीक्षा में 600 में से 436 अंक हासिल किए। जेल विभाग के अधिकारियों ने बताया, नईमा रामपुर जिला जेल में बंद थी। पढ़ाई के प्रति उसकी लगन और रुचि को देखते हुए जेल मुख्यालय ने उसे बरेली सेंट्रल जेल में रखने की विशेष व्यवस्था की। यहां से वह 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा में शामिल हुई थी। (भाषा)

 

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By NI Desk

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