नई दिल्ली। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सिफारिश पर उप राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार को निलंबित करने से इनकार कर दिया है। उप राज्यपाल ने कहा है कि मुख्यमंत्री की ओर से भेजी गई रिपोर्ट राजनीति से प्रेरित है और जांच में तय मानकों का पालन नहीं किया गया है। उन्होंने आठ सौ करोड़ रुपए से अधिक के कथित जमीन घोटाले में राज्य सरकार की विजिलेंस रिपोर्ट को स्वीकार करने से मना कर दिया है। साथ ही सरकार की सिफारिश को पूर्वाग्रह से ग्रस्त और योग्यता रहित बताया है।
राज्य सरकार की ओर से भेजी गई रिपोर्ट को लेकर उप राज्यपाल ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को एक नोट भेजा है। इसमें उन्होंने लिखा है कि चूंकि रिपोर्ट का चुनिंदा हिस्सा कथित तौर पर मीडिया में लीक हो गया है, इसलिए पहली नजर मे ऐसा लगता है कि इस कथित जांच का पूरा मकसद सच्चाई का पता लगाना नहीं था, बल्कि मीडिया ट्रायल शुरू करना और इस पूरे मामले का राजनीतिकरण करना था। जबकि यह मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने है। एलजी ने लिखा है- कोई भी यह सोचने को मजबूर हो जाता है कि क्या यह पूर्वाग्रह पैदा करके अदालत को प्रभावित करने की कोशिश है। उन्होंने कहा कि केवल संदेह होना कानूनी सबूत नहीं हो सकता है।
उप राज्यपाल ने अपने नोट में लिखा है- मुख्य सचिव और डिविजनल कमिश्नर की सिफारिश पर मैंने पहले ही सीबीआई जांच की सिफारिश का अनुमोदन किया है और मामले की सीबीआई जांच चल रही है। इसलिए मेरे सामने विचार के लिए रखी गई सिफारिश पूर्वाग्रह से ग्रस्त है और योग्यता से रहित है। इस पर सहमत नहीं हुआ जा सकता है। अपने नोट में उन्होंने लिखा है- इस रिपोर्ट में विजिलेंस मंत्री आतिशी का जोर डीएम, डिविजनल कमिश्नर और मुख्य सचिव की मिलीभगत के आरोप पर है, जिससे सरकारी खजाने को नुकसान हुआ है, लेकिन जांच के मूल सिद्धांतों का भी पालन इस मामले में नहीं किया गया है। इस रिपोर्ट में कोई भी नया तथ्य सामने नहीं लाया गया है।