Wednesday

30-04-2025 Vol 19

करोड़ों मनरेगा मजदूरों के नाम कटने का आरोप

नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के ऊपर बड़ा आरोप लगाया है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार ने साढ़े सात करोड़ से ज्यादा मनरेगा मजदूरों का नाम सिस्टम से हटा दिया है। कांग्रेस महासचिव और संचार विभाग के प्रभारी जयराम रमेश ने सोमवार, एक जनवरी को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि नया पेमेंट सिस्टम लाकर सरकार ने 10.7 करोड़ मजदूरों को पेमेंट पाने से भी अयोग्य कर दिया है क्योंकि वे समय रहते इस पेमेंट सिस्टम से नहीं जुड़ पाए।

जयराम रमेश ने केंद्र सरकार के लाए आधार-बेस्ड पेमेंट सिस्टम यानी एबीपीएस की खामियों पर सवाल उठाया। यह योजना 2017 से लागू है, लेकिन सरकार ने 31 दिसंबर, 2023 को मनरेगा के तहत काम करने वाले सभी मजदूरों के लिए इसे अनिवार्य कर दिया है। यानी इन मजदूरों को एबीपीएस के तहत ही पेमेंट मिलेगा। जो मजदूर इस पेमेंट सिस्टम से नहीं जुड़ पाए, वे पेमेंट नहीं पा सकेंगे।

इसका जिक्र करते हुए जयराम रमेश ने कहा- सबसे गरीब और हाशिए पर रहने वाले करोड़ों भारतीयों को प्रधानमंत्री मोदी ने नए साल का क्रूर तोहफा दिया है। उन्होंने इन लोगों को सामान्य आय पाने से रोकने की तरकीब निकाली है। मोदी सरकार को तकनीक को हथियार की तरह इस्तेमाल करना बंद कर देना चाहिए। रमेश ने कहा कि मनरेगा की पेमेंट्स को आधार-बेस्ड पेमेंट सिस्टम, एबीपीएस से जोड़कर सरकार ने अप्रैल 2022 से अब तक 7.6 करोड़ रजिस्टर्ड मजदूरों को सिस्टम से डिलीट कर दिया गया है। इनमें से 1.9 करोड़ रजिस्टर्ड मजदूरों को मौजूदा वित्त वर्ष के नौ महीनों के अंदर सिस्टम से डिलीट किया गया है।

कांग्रेस महासचिव ने कहा कि इस देश में 25.69 करोड़ मनरेगा मजदूर हैं, जिसमें से 14.33 करोड़ एक्टिव वर्कर्स हैं। 27 दिसंबर तक कुल मजदूरों में से 34.8 फीसदी यानी 8.9 करोड़ और एक्टिव मजदूरों में से 12.7 फीसदी यानी 1.8 करोड़ एबीपीएस के लिए योग्य नहीं हैं। ये कुल मिलाकर 10.7 करोड़ मजदूर हुए, जिनके पास मजदूरी पाने का कोई रास्ता नहीं बचा है। जयराम रमेश ने कहा कि ग्रामीण विकास मंत्रालय की तरफ से 30 अगस्त, 2023 को जारी किए गए एक बयान में कई दावे किए गए थे, जैसे कि अगर मजदूर एबीपीएस के लिए योग्य नहीं है, तो जॉब कार्ड डिलीट नहीं होगा।

NI Desk

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