नई दिल्ली। अरब सागर में हाईजैक हुए जहाज के चालक दल के सभी सदस्य सुरक्षित हैं। भारतीय नौसेना के कमांडोज ने जहाज पर पहुंच कर सबको बचाया। बताया जा रहा है कि चालक दल के कुल 21 सदस्य थे, जिनमें 15 भारतीय थे। यह घटना गुरुवार, चार जनवरी को है। चार जनवरी को पांच-छह समुद्री लुटेरे इस जहाज पर पहुंचे थे और इसे हाईजैक करने का प्रयास किया था। जहाज को हाईजैक किए जाने के प्रयास की सूचना भारतीय नौसेना को मिली थी और उसी समय मैरीटाइम पेट्रोलिंग एयरक्राफ्ट पी8आई को जहाज की ओर रवाना कर दिया गया। इसके बाद आईएनएस चेन्नई को भी जहाज की ओर भेजा गया।
गुरुवार को हुई इस घटना के बारे में शुक्रवार को जानकारी दी गई। बताया गया है कि नौसेना कमांडोज ने चालक दल के सभी सदस्यों को सुरक्षित करने के बाद समुद्री लुटेरों की तलाश शुरू कर दी। गौरतलब है कि अरब सागर में सोमालिया के तट के पास यह यह जहाज हाईजैक हुआ था। इस पर लाइबेरिया का झंडा लगा हुआ है और इसका नाम एमवी लीला नॉरफोक है। बाद में नौसेना की ओर से बताया गया कि जहाज पर समुद्री लुटेरे नहीं मिला। माना जा रहा है कि भारतीय नौसेना की कार्रवाई की चेतावनी के बाद वे जहाज छोड़ कर चले गए।
भारतीय नौसेना ने बताया है कि जहाज ने ब्रिटेन के मैरीटाइम ट्रेड ऑपरेशन्स यानी यूकेएमटीओ पोर्टल पर एक संदेश भेजा था, जिसमें जहाज को हाईजैक किए जाने के प्रयास की सूचना दी गई थी। इसमें कहा गया था कि चार जनवरी की शाम को पांच-छह सुमद्री लुटेरे हथियारों के साथ जहाज पर उतरे। भारतीय नौसेना ने कहा- हाईजैक की सूचना मिलते ही एक मैरिटाइम पैट्रोलिंग एयरक्राफ्ट पी8आई को जहाज की तरफ रवाना किया गया। साथ ही मर्चेंट वेसल की सुरक्षा के लिए आईएनएस चेन्नई को भी भेजा गया। नौसेना ने कहा कि फिलहाल वह मामले पर नजर बनाए हुए है।
बताया गया है कि लाइबेरिया के झंडे वाला यह जहाज ब्राजील के पोर्टो डू एकू से बहरीन के खलीफा बिन सलमान पोर्ट जा रहा था। यह 11 जनवरी को लोकेशन पर पहुंचने वाला था। वहीं, वेसल फाइंडर के मुताबिक, जहाज से आखिरी बार 30 दिसंबर को संपर्क किया गया था। जहाज को किसने हाईजैक किया, इसका पता नहीं चल पाया है। गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों में अरब सागह और हिंद महासागर में मालवाहक जहाजों को हाईजैक करने या ड्रोन के जरिए उन पर हमल करने की घटनाएं बढ़ गई हैं।