नई दिल्ली। कतर में आठ पूर्व भारतीय नौसैनिकों की मौत की सजा को जेल की सजा में बदले जाने के फैसले के बाद बताया जा रहा है कि कथित तौर पर जासूसी के आरोप में गिरफ्तार इन पूर्व नौसैनिकों को तीन से 25 साल तक की सजा सुनाई गई है। गुरुवार को दोहा की अदालत ने भारत सरकार की अपील पर फैसला सुनाया था और आठों कैदियों की मौत की सजा को जेल की सजा में बदल दिया था। विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को इसकी जानकारी देते हुए कहा था कि फैसले का पूरा ब्योरा अभी नहीं मिला है। हालांकि जानकार सूत्रों का कहना है कि कैदियों को तीन से 25 साल तक की सजा सुनाई गई है।
सूत्रों के मुताबिक आठ पूर्व नौसैनिकों में सबसे कम सजा नाविक रागेश को दी गई है। उसे तीन साल की सजा सुनाई गई है। बताया जा रहा है कि दोहा की अदालत ने सभी आठ भारतीयों की फांसी को खत्म करते हुए अलग-अलग सजा सुनाई है। फैसले में इस बात का ब्योरा दिया गया है कि उनमें से सभी के लिए कारावास की सजा की अवधि अलग अलग क्यों हैं। अलग अलग सजा की वजह को मामले की संवेदनशीलता के कारण सार्वजनिक नहीं किया गया है।
आठ पूर्व नौसैनिकों में से एक को 25 साल की सजा सुनाई गई है, जबकि चार को 15-15 साल की और दो को 10-10 साल की सजा सुनाई गई है। गौरतलब है कि गुरुवार को अपील पर अदालत में चौथी सुनवाई थी, जिसके बाद फैसला सुनाया गया। इससे पहले 23 नवंबर, 30 नवंबर और सात दिसंबर को सुनवाई हुई थी। अब इस मामले की सुनवाई ऊपरी अदालत में होगी। गुरुवार को सुनवाई के दौरान कतर में भारतीय राजदूत विपुल और नौसैनिकों के परिवार के सदस्य भी अपील अदालत में मौजूद थे।