रांची। हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के 24 घंटे बाद भी झारखंड में नई सरकार नहीं बन पाई। राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राजद के विधायक दल के नेता चम्पई सोरेन को सरकार बनाने का न्योता नहीं दिया। गौरतलब है कि चम्पई सोरेन ने 43 विधायकों के समर्थन की चिट्ठी भी राज्यपाल को सौंपी है। गुरुवार की देर शाम तक सरकार बनाने का न्योता नहीं मिलने के बाद 43 में 38 विधायकों को हैदराबाद भेज दिया गया। विधायक दल के नेता और चार अन्य विधायक रांची में रूक गए।
इससे पहले राज्यपाल ने चम्पई सोरेन को साढ़े पांच बजे मिलने के लिए बुलाया था। वे पांच विधायकों के साथ राजभवन गए और राज्यपाल से अनुरोध किया कि वे सरकार बनाने के लिए उन्हें आमंत्रित करें। राज्यपाल ने जल्दी ही इस बारे में फैसला करने की बात कही। दूसरी ओर भाजपा के सांसद निशिकांत दुबे का दावा है कि जेएमएम के 18 विधायक चम्पई सोरेन के पक्ष में नहीं हैं। इसलिए राज्यपाल को अनुच्छेद 355 के तहत राष्ट्रपति शासन की सिफारिश भेजनी चाहिए।
गौरतलब है कि हेमंत सोरेन ने बुधवार की देर शाम को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और उसके बाद ईडी ने उनको गिरफ्तार कर लिया। उससे पहले विधायक दल की बैठक में चम्पई सोरेन को नेता चुना गया और उन्होंने राज्यपाल से मिल कर सरकार बनाने का दावा पेश किया। लेकिन उसके 24 घंटे बाद तक राज्यपाल ने उनको सरकार बनाने का न्योता नहीं दिया। इस तरह झारखंड अभी बिना सरकार के है। न तो चुनी हुई सरकार है और न राष्ट्रपति शासन लागू किया गया है।
इस बीच गुरुवार को झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी की टीम ने रांची के पीएमएलए कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने हेमंत सोरेन के एक दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। हालांकि, ईडी ने अदालत से 10 दिन का रिमांड मांगा था। लेकिन अदालत ने उनकी रिमांड पर सुनवाई नहीं की। असल में हेमंत सोरेन की ओर से पहले रांची हाई कोर्ट में और फिर सुप्रीम कोर्ट में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी गई। इसी वजह से विशेष अदालत ने रिमांड पर सुनवाई नहीं की। रिमांड पर शुक्रवार को सुनवाई हो सकती है।