नई दिल्ली। बिहार के मुख्यमंत्री रहे कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित करने का ऐलान किया गया है। गणतंत्र दिवस से तीन दिन पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न से सम्मानित करने की घोषणा की। गौरतलब है कि 24 जनवरी को कर्पूरी ठाकुर सौवीं जयंती है। इस मौके पर बिहार में कई कार्यक्रमों की घोषणा की गई है। सत्तारूढ़ जनता दल यू की ओर से बड़ी रैली का आयोजन किया जा रहा है। भाजपा भी इस मौके पर सभा करेगी।
सौवीं जयंती की पूर्व संध्या पर कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की घोषणा की गई। इसका बड़ा राजनीतिक महत्व माना जा रहा है क्योंकि इस साल लोकसभा के चुनाव होने वाले हैं और भाजपा अति पिछड़ा वोट को साधने में लगी है। गौरतलब है कि कर्पूरी ठाकुर अति पिछड़ी नाई जाति से आते हैं। आजादी के बाद हुए पहले चुनाव में यानी 1952 में वे पहली बार विधायक बने थे और लगातार पिछड़ों और वंचितों के लिए काम करते रहे।
कर्पूरी ठाकुर दो बार बिहार के मुख्यमंत्री और एक बार उप मुख्यमंत्री रहे। वे पहली बार 1970 में छह महीने के लिए मुख्यमंत्री बने थे। उसके बाद 1977 में दूसरी बार डेढ़ साल के लिए मुख्यमंत्री बने। वे बिहार के पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री थे। उन्होंने पहली बार 1952 में विधानसभा चुनाव जीता था। 1967 में कर्पूरी ठाकुर ने उप मुख्यमंत्री बनने पर बिहार में अंग्रेजी की अनिवार्यता को खत्म कर दिया था। मुख्यमंत्री बनने पर उन्होंने मुंगेरीलाल आयोग की रिपोर्ट लागू की थी और पिछड़ों व अत्यंत पिछड़ों को आरक्षण दिया था। उन्होंने महिलाओं और गरीब सवर्णों को भी आरक्षण दिया था और बिहार में मैट्रिक तक की मुफ्त पढ़ाई की व्यवस्था की थी।