नई दिल्ली। मणिपुर में पिछले छह महीने से ज्यादा समय से चल रही जातीय हिंसा में संभवतः पहली बार केंद्र सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। केंद्र सरकार ने राज्य के बहुसंख्यक मैती समुदाय से जुड़े नौ संगठनों या समूहों को प्रतिबंधित कर दिया है। केंद्र ने राष्ट्र विरोधी गतिविधियों और सुरक्षा बलों पर घातक हमले करने को लेकर सोमवार को नौ मैती चरमपंथी समूहों और उनके सहयोगी संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया। इनमें से ज्यादातर मणिपुर में सक्रिय हैं। इन पर पांच साल के लिए पाबंदी लगाई है और पाबंदी की अवधि 13 नवबंर से शुरू हो जाएगी।
गृह मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार, जिन समूहों पर पांच साल के लिए पाबंदी लगाई गई है उनमें एक पीपुल्स लिबरेशन आर्मी यानी पीएलए भी है। इसकी राजनीतिक शाखा, रिवोल्यूशनरी पीपुल्स फ्रंट यानी आरपीएफ, यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट यानी यूएनएलएफ और इसकी सशस्त्र शाखा मणिपुर पीपुल्स आर्मी यानी एमपीए शामिल हैं।
इसके अलावा पीपुल्स रिवोल्यूशनरी पार्टी ऑफ कांगलेईपाक और इसकी सशस्त्र शाखा रेड आर्मी, कांगलेईपाक कम्युनिस्ट पार्टी और इसकी सशस्त्र शाखाएं शामिल हैं। पीएलए, यूएनएलफ, पीआरईपीएके, केसीपी, केवाई केएल को कई साल पहले गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम कानून के तहत गृह मंत्रालय की ओर से प्रतिबंधित घोषित किया गया था। इन प्रतिबंधों को पांच साल तक बढ़ा दिया गया है।
इनके अलावा अन्य संगठनों के गैरकानूनी घोषित होने की घोषणा नई है। अपनी अधिसूचना में, गृह मंत्रालय ने कहा कि केंद्र सरकार की राय है कि यदि मैती चरमपंथी संगठनों पर तत्काल अंकुश और नियंत्रण नहीं किया गया तो उन्हें अपनी अलगाववादी, विध्वंसक, आतंकवादी और हिंसक गतिविधियों को बढ़ाने के लिए अपने कैडर को संगठित करने का अवसर मिलेगा।