नई दिल्ली। संसद की सुरक्षा में सेंध के मामले में दिल्ली पुलिस ने आतंकवाद रोधी और गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम कानून यानी यूएपीए के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया। लोकसभा सचिवालय के अनुरोध पर, गृह मंत्रालय ने इस घटना की जांच का आदेश दिया है। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल यानी सीआरपीएफ के महानिदेशक अनीश दयाल सिंह के नेतृत्व में एक जांच कमेटी बनाई गई है। इसमें अन्य सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारी और सुरक्षा विशेषज्ञ शामिल हैं। इस बीच पुलिस ने 13 दिसंबर को संसद में घुसपैठ करने वाले दो आरोपियों और उनके दो सहयोगियों को गुरुवार को पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया। अदालत ने उन्हें सात दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया।
पुलिस ने बताया है कि कुल छह आरोपी हैं। दो संसद के अंदर घुसे थे, जबकि दो बाहर प्रदर्शन कर रहे थे। पूछताछ में दो लोगों का और नाम सामने आया। फिलहाल पांच लोग पुलिस की गिरफ्त में है और एक फरार है। फरार आरोपी का नाम ललित झा है। उसकी आखिरी लोकेशन पुलिस को राजस्थान की मिली है। बताया जा रहा है कि उसी ने आरोपियों के सदन के अंदर स्मोक गन चलाने और धुआं फैलाने की वीडियो बनाई और उसे सोशल मीडिया पर डाला।
बहरहाल, पुलिस सूत्रों के मुताबिक, आरोपियों ने पहले ही संसद के बाहर की रेकी कर ली थी। सभी आरोपी एक सोशल मीडिया पेज ‘भगत सिंह फैन क्लब‘ से जुड़े थे। करीब डेढ़ साल पहले सभी आरोपी मैसूर में मिले थे। आरोपी सागर जुलाई में लखनऊ से दिल्ली आया था लेकिन संसद भवन में नहीं घुस सका था। फिर 10 दिसंबर को एक-एक करके सभी अपने-अपने राज्यों से दिल्ली पहुंचे। घटना वाले दिन सभी आरोपी इंडिया गेट के पास इकट्ठा हुए, जहां सभी को कलर स्प्रे बांटा गया।
पुलिस की अभी तक की जांच में ललित झा के मास्टरमाइंड होने का शक सामने आ रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि इस मामले के पीछे ‘लंबी साजिश‘ है, जिसका खुलासा ललित झा के पकड़े जाने के बाद होगा। सूत्रों के मुताबिक, पुलिस की गिरफ्त में आए अन्य आरोपियों ने पूछताछ में खुलासा किया है कि ललित झा के कहने पर 13 दिसंबर की तारीख तय हुई थी। ललित झा ने ही सभी को गुरुग्राम में मीटिंग के लिए बुलाया था और उसन ही कलर अटैक का वीडियो मोबाइल में शूट कर सोशल मीडिया पर अपलोड किया। इस बीच संसद में घुसपैठ मामले के चारों आरोपियों को खालिस्तानी आतंकी समूह सिख फॉर जस्टिस के गुरपतवंत सिंह पन्नू ने 10 लाख की कानूनी सहायता देने का ऐलान किया है।