nayaindia SC Verdict On Article 370 अनुच्छेद 370 हटाना सही

अनुच्छेद 370 हटाना सही

राजनीतिक स्तर पर आरक्षण

नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को खत्म करने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने भी मुहर लगा दी है। इसका मतलब है कि अब जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 की वापसी नहीं हो सकती है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने केंद्र सरकार से कहा कि वह जल्दी से जल्दी जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करे। अदालत ने केंद्र को अगले साल सितंबर तक राज्य में विधानसभा चुनाव कराने का भी निर्देश दिया। गौरतलब है कि नवंबर 2018 से राज्य की विधानसभा भंग है और चार साल चार महीने पहले अगस्त 2019 में संसद ने अनुच्छेद 370 खत्म करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।

बहरहाल, चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने सोमवार को अपने फैसले में कहा कि राष्ट्रपति द्वारा अनुच्‍छेद 370 को निरस्त करने का आदेश संविधानिक तौर पर वैध अभ्यास है। अदालत ने कहा- हम 370 को निरस्त करने में कोई दुर्भावना नहीं पाते है। हम संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के लिए संवैधानिक आदेश जारी करने की राष्ट्रपति की शक्ति के इस्तेमाल को वैध मानते हैं।

संविधान पीठ ने कहा- अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था। जम्मू कश्मीर के पास देश के अन्य राज्यों से अलग आंतरिक संप्रभुता नहीं है। अनुच्छेद 370 को हटाने का अधिकार जम्मू कश्मीर के एकीकरण के लिए है। जब राष्ट्रपति शासन लागू होता है, तब राज्यों में संघ की शक्तियों पर सीमाएं होती हैं। इसकी उद्घोषणा के तहत राज्य की ओर से केंद्र द्वारा लिया गया हर निर्णय कानूनी चुनौती के अधीन नहीं हो सकता। इससे अराजकता फैल सकती है। गौरतलब है कि अनुच्छेद 370 खत्म करने के फैसले को कई याचिकाओं के जरिए चुनौती दी गई थी और कहा गया था कि राज्य की विधानसभा की सिफारिश या सहमति के बगैर ही राज्य का विशेष दर्जा खत्म कर दिया गया।

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने इस ऐतिहासिक मसले पर फैसला सुनाते हुए कहा कि इस मुद्दे पर तीन फैसले हैं। चीफ जस्टिस ने अपनी, जस्टिस आरएस गवई और जस्टिस सूर्यकांत की ओर से फैसले लिखे हैं, जबकि जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस संजीव खन्ना ने अलग-अलग फैसले लिखे हैं। फैसला सुनाते हुए चीफ जस्टिस  ने कहा कि जब जम्मू कश्मीर की संविधान सभा का अस्तित्व समाप्त हो गया, तो जिस विशेष स्थिति के लिए अनुच्छेद 370 लागू किया गया था, उसका भी अस्तित्व समाप्त हो गया। जम्मू कश्मीर की संविधान सभा की सिफारिश राष्ट्रपति के लिए बाध्यकारी नहीं थी। बहरहाल, इसक बाद अदालत ने कहा कि जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा जितने जल्दी हो सके दिया जाए और वहां पर चुनाव कराए जाएं। लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश) बनाने का फैसला भी सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है। अदालत ने अनुच्छेद 370 को खत्म किए जाने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 16 दिन तक सुनवाई करने के बाद पांच सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रखा था।

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