नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सरकार और उप राज्यपाल से जुड़े एक मामले पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई। इसके बाद सर्वोच्च अदालत ने दिल्ली महिला आयोग के फंड से जुड़े इस मामले को यह कहते हुए दिल्ली हाई कोर्ट भेज दिया कि वह हर एक मामले में ऐसे सुनवाई नहीं कर सकती।
महिला आयोग की आर्थिक मदद रोक दिए जाने की याचिका पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ने कहा- आप सीधे सुप्रीम कोर्ट आने की बजाय दिल्ली हाई कोर्ट क्यों नहीं गए? दिल्ली सरकार और उप राज्यपाल के बीच होने वाले हर विवाद सीधे सुप्रीम कोर्ट क्यों लाए जाते हैं? हम हर एक मामले में ऐसे सुनवाई नहीं कर सकते। हम सिर्फ संवैधानिक पहलुओं पर ही सीधे सुन सकते हैं। सामान्य मामले पर नहीं।
दिल्ली महिला आयोग के वकील गोपाल शंकर नारायणन ने कहा कि ये आयोग का मामला है, धनराशि नहीं है। इस पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ने कहा- कल हमारे सामने बस मार्शल का मुकदमा आया। हम ऐसे रोज-रोज सामान्य मुकदमे नहीं सुन सकते, जिनमे कोई संवैधानिक पेंच न हो। इसके बाद कोर्ट ने बाल अधिकार संरक्षण आयोग में खाली पदों को भरने के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट के अनुच्छेद 226 के तहत अधिकार और न्याय क्षेत्र का हवाला देते हुए रजिस्ट्री को निर्देश देते हुए कहा कि इस याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट के पास सुनवाई हेतु भेज दिया जाए।