नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु में राज्यपाल और सरकार के बीच लंबित विधेयकों को लेकर महीनों से चल रही तनातनी को खत्म करने के लिए राज्यपाल को एक सलाह दी है। उन्होंने कहा है कि मुख्यमंत्री से मिल कर राज्यपाल इस विवाद को खत्म करें। विधानसभा से पास विधेयकों को राज्यपाल द्वारा लंबित रखे जाने के मसले पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान अदालत ने अटॉर्नी जनरल से कहा कि आप तमिलनाडु के राज्यपाल से कहिए कि मुख्यमंत्री से मिलकर इस समस्या का समाधान निकालें।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि एक बार विधेयक नामंजूर करने के बाद अगर सरकार दोबारा उस विधेयक को राज्यपाल को भेजती है तो वे यह नहीं कह सकते कि इसे राष्ट्रपति के पास भेज देंगे। गौरतलब है कि राज्यपाल आरएन रवि ने विधानसभा से पास कई विधेयकों को लटका रखा था। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट की तीखी टिप्पणी के बाद उन्होंने 10 विधेयक वापस लौटा दिए थे। इस मामले को लेकर राज्य सरकार की याचिका पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने सुनवाई की।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी की दलीलों पर संज्ञान लिया कि राज्यपाल ने दोबारा भेजे गए विधेयकों को राष्ट्रपति के पास विचार के लिए भेज दिया है। इस पर अदालत ने कहा कि राज्यपाल ऐसा नहीं कर सकते हैं। इसके बाद पीठ ने कहा- हम चाहेंगे कि राज्यपाल गतिरोध को सुलझा लें। यदि राज्यपाल मुख्यमंत्री के साथ गतिरोध को सुलझा लेते हैं तो हम इसकी सराहना करेंगे। चीफ जस्टिस ने कहा- मुझे लगता है कि राज्यपाल आरएन रवि को मुख्यमंत्री को आमंत्रित करना चाहिए और वे बैठ कर इस बारे में चर्चा करें।
सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 11 दिसंबर की तारीख तय की है। संविधान के अनुच्छेद 200 का जिक्र करते हुए पीठ ने शुक्रवार को कहा कि राज्यपाल के कार्यालय द्वारा लौटाए जाने पर जिन विधेयकों को विधानसभा ने फिर से पास किया है, उन्हें राज्यपाल राष्ट्रपति को नहीं भेज सकते। इससे पहले अदालत ने ही तीखी टिप्पणी की थी और राज्यपालों द्वारा विधेयक लंबित रखने को गंभीर चिंता का विषय बताया था।