Wednesday

21-05-2025 Vol 19

सुरंग में फंसी 40 जिंदगियां!

350 Views

देहरादून। उत्तराखंड के उत्तरकाशी में एक निर्माणाधीन सुंरग में 40 मजदूरों को फंसे करीब 120 घंटे हो गए और अभी तक उनके बाहर निकलने का उपाय नहीं हो सका है। उन्हें निकालने के लिए 24 घंटे काम कर रही बचाव टीम इंच-इंच करके उनके नजदीक पहुंचने की कोशिश कर रही है। केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने गुरुवार को घटनास्थल पर पहुंच कर बचाव कार्य का जायजा लिया। उन्होंने बाद में कहा कि सुरंग में फंसे मजदूरों के निकलने में अब भी दो से तीन दिन का समय लग सकता है।

इससे पहले गुरुवार की सुबह मजदूरों को निकालने के लिए नए सिरे से प्रयास शुरू हुआ। गुरुवार की सुबह अमेरिकी ऑगर मशीन को इंस्टॉल कर बचाव का काम शुरू किया गया। इस मशीन को बुधवार देर शाम भारतीय वायु सेना के हरक्यूलिस विमान से दिल्ली से उत्तरकाशी लाया गया था। बताया जा रहा है कि मजदूरों को बाहर निकालने के लिए नॉर्वे और थाईलैंड के विशेषज्ञों से भी सलाह ली जा रही है।

गौरतलब है कि चारधाम प्रोजेक्ट के तहत यह सुरंग ब्रह्मखाल और यमुनोत्री नेशनल हाईवे पर सिल्क्यारा और डंडलगांव के बीच बनाई जा रही है। दिवाली के दिन 12 नवंबर को सुबह चार बजे अचानक सुरंग की एंट्री प्वाइंट से दो सौ मीटर दूर मिट्टी धंस गई, जिससे ये मजदूर बफर जोन में फंस गए। पहले इसका मलबा 50 मीटर तक फैला हुआ था लेकिन राहत व बचाव के क्रम में सुरंग और धंस गई और इसका मलबा 70 मीटर तक फैल गया। फंसे हुए मजदूरों में सबसे ज्यादा 15 मजदूर झारखंड के हैं। उनके अलावा बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के हैं।

इस बीच केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने इस बात की भी पुष्टि की है कि मजदूरों को निकालने के लिए बचाव टीमों ने नॉर्वे और थाईलैंड के विशेषज्ञों से बात की है। इसमें थाईलैंड की वह एजेंसी भी शामिल है, जिसने वहां की एक गुफा में 17 दिन तक फंसे 12 बच्चों और उनके फुटबॉल कोच को बाहर निकाला था। गुरुवार को राहत कार्यों का जायजा लेने पहुंचे वीके सिंह ने घटनास्थल पर ही प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने कहा- हमारी प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि फंसे हुए मजदूर सुरक्षित रहें और उन्हें जल्दी से जल्दी सुरंग से निकाला जाए। सभी सुझावों पर विचार किया जा रहा है। मैंने मजदूरों से बात की है। उनका मनोबल ऊंचा है और वे जानते हैं कि सरकार उन्हें बचाने की कोशिश कर रही है।

मजदूरों को बाहर निकालने के लिए नेशनल हाईवे एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड यानी एनएचआईडीसीएल, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आईटीबीपी, बीआरओ सहित कई एजेंसियों के दो सौ से ज्यादा लोग लगातार काम कर रहे हैं। अमेरिकी मशीन के जरिए चट्टान में छेद करके करीब तीन फीट मोटा गड्ढा बनाने की कोशिश की जा रही है, जिससे मजदूर रेंग कर बाहर आ सकते हैं। जो मजदूर गया ऐसा करने में अक्षम हैं या घायल हैं, उन्हें बाहर लाने के लिए स्ट्रेचर और हार्नेस का इस्तेमाल किया जाएगा।

NI Desk

Under the visionary leadership of Harishankar Vyas, Shruti Vyas, and Ajit Dwivedi, the Nayaindia desk brings together a dynamic team dedicated to reporting on social and political issues worldwide.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *