देहरादून। उत्तराखंड के उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग में 14 दिन से फंसे 41 मजदूरों को अभी कम से कम चार दिन और इंतजार करना पड़ेगा। अमेरिकी ऑगर मशीन से ड्रिलिंग का काम विफल होने के बाद अब पहाड़ के ऊपर से ड्रिलिंग हो रही है। रविवार को पहले दिन की ड्रिलिंग में करीब 19 मीटर की खुदाई हो गई है। पहाड़ के ऊपर से मजदूरों तक पहुंचने के लिए 86 मीटर की ड्रिलिंग करनी होगी। अगर कोई बाधा नहीं आती है तब भी मजदूरों तक पहुंचने में कम से कम चार दिन और लगेंगे। इस बीच मजदूरों को बचाने के लिए रविवार को सेना भी बुला ली गई।
इससे पहले अमेरिकी ऑगर मशीन से खुदाई हो रही थी लेकिन मशीन के रास्ते में बार बार लोहे का सरिया या कोई दूसरी सख्त चीज आ जाने की वजह से खुदाई का काम रूक रहा था। शुक्रवार को मशीन खराब हो गई। सुरंग के अंदर ही उसकी ब्लेड्स टूट गईं, जिसे निकालने के लिए बड़ी मशक्कत करनी पड़ी है। इसके बाद बचाव कार्य में लगे जानकारों ने बताया कि अब दूसरी मशीन नहीं लाई जाएगी। उसकी बजाय पहाड़ के ऊपर से खुदाई होगी। विशेषज्ञों का मानना है कि ऊपर से खुदाई में समय लग सकता है और यह अपेक्षाकृत ज्यादा जोखिम वाला काम है। क्योंकि इसमें बड़ी मात्रा में मलबा नीचे गिरने का खतरा है।
बहरहाल, बचाव कार्य में लगी टीमों का कहना है कि अगर कोई बाधा नहीं आती है तो ऊपर से खुदाई में सौ घंटे का समय लग सकता है। इस बीच रविवार को सुरंग के अंदर फोन की लैंडलाइन भी डाली गई। इससे मजदूर अपने परिवार के सदस्यों से बात कर सकेंगे। पहाड़ के ऊपर से खुदाई का काम सतलुज विद्युत निगम लिमिटेड यानी एसवीएनएल को सौंपा गया है। इससे पहले बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन यानी बीआरओ के जवानों ने पेड़ काटकर पहाड़ की चोटी तक भारी मशीनरी ले जाने का रास्ता तैयार किया था।
गौरतलब है कि सुरंग में फंसे मजदूरों तक पहुंचने के लिए अमेरिकी ऑगर मशीन के जरिए खुदाई करके पाइप डाले जा रहे थे। करीब 50 मीटर तक की खुदाई हो गई थी लेकिन शुक्रवार को मजदूरों के पास पहुंचने से 10-12 मीटर पहले ही मशीन की ब्लेड्स टूट गई थीं। इसके बाद मशीन के बजाय मैनुअल ड्रिलिंग कराने का फैसला किया गया। इससे पहले ऑगर मशीन के फंसे हुए शाफ्ट और ब्लेड्स को काट कर अंदर से निकाला गया। बताया जा रहा है कि अगर मशीन के टुकड़े सावधानी से नहीं निकाले गए तो इससे सुरंग में बिछाई गई पाइपलाइन टूट सकती है।