nayaindia Uttarkashi Tunnel Rescue Operation जिंदगी की जंग जीत गए मजदूर

जिंदगी की जंग जीत गए मजदूर

देहरादून। उत्तराखंड के उत्तरकाशी की सिल्क्यारा सुरंग में 17 दिन से फंसे सभी 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है। मंगलवार की देर शाम सात बज पर 50 मिनट पर पहला मजदूर बाहर आया और फिर बारी बारी सारे मजदूर बाहर निकाले गए। सभी मजदूरों को तत्काल एम्बुलेंस के जरिए अस्पताल भेजा गया। इससे पहले सोमवार और मंगलवार को रैट माइनर्स यानी सुरंग के अंदर घुस कर मैनुअल खुदाई करने वाले विशेषज्ञों की टीम ने 12 मीटर से ज्यादा की खुदाई की। गौरतलब है कि अमेरिकी ऑगर मशीन 47 मीटर तक की खुदाई करने के बाद खराब हो गई थी। उसके बाद मैनुअल खुदाई शुरू की गई थी। साथ ही पहाड़ के ऊपर से भी खुदाई शुरू हुई थी, जिसे रोक दिया गया है।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी सिल्क्यारा सुरंग के बाहर मौजूद थे और उन्होंने बाहर निकले मजदूरों से बात की और उनका हालचाल जाना। केंद्रीय मंत्री वीके सिंह भी उनके साथ थे। खुदाई के काम में लगे विशेषज्ञों ने बताया कि सभी 41 मजदूर स्वस्थ हैं। गौरतलब है कि 12 नवंबर यानी दिवाली के दिन सुबह चार बजे निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा गिर गया था, जिसमें 41 मजदूर फंस गए थे। हालांकि दुर्घटना के अगले दिन से ही पाइप के जरिए उनको खाना, पानी, दवाएं आदि दी जा रही थीं।

मंगलवार की शाम को मजदूरों के बाहर निकलने पर उनको तत्काल चिन्यालीसौड़ ले जाया गया। सभी मजदूरों के लिए एम्बुलेंस तैयार रखे गए थे और सिल्क्यारा सुरंग से चिन्यालीसौड़ तक करीब 35 किलोमीटर का ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया था ताकि मजदूरों को जल्दी से जल्दी अस्पताल पहुंचाया जा सके। चिन्यालीसौड़ में मजदूरों के लिए 41 बेड के विशेष अस्पताल का बंदोबस्त किया गया है। चिन्यालीसौड़ हवाईअड्डे पर चिनूक हेलीकॉप्टर तैनात किया गया था, ताकि किसी मजदूर की तबीयत बिगड़ने पर उसे तुरंत ऋषिकेश एम्स भेज दिया जाए। हालांकि चिनूक हेलीकॉप्टर रात में उड़ान नहीं भर सकते हैं।

बहरहाल, सिल्क्यारा साइड से सुरंग में खुदाई का मैनुअल काम सम्भाल रहे रैट माइनर्स ने मंगलवार को दोपहर डेढ़ बजे के करीब खुदाई पूरी कर दी थी और पाइप से बाहर आ गए थे। उन्होंने करीब 21 घंटे में 12 मीटर की मैनुअल ड्रिलिंग की। गौरतलब है कि 24 नवंबर को मजदूरों की लोकेशन से 12 मीटर पहले अमेरिकी ऑगर मशीन टूट गई थी। जिससे बचाव का काम रोकना पड़ा था। इसके बाद सेना और रैट माइनर्स को बाकी के ड्रिलिंग के लिए बुलाया गया था। रैट माइनर्स ने आठ सौ एमएम के पाइप में घुसकर ड्रिलिंग की। वे बारी-बारी से पाइप के अंदर जाते, फिर हाथ के सहारे छोटे फावड़े से खुदाई करते थे। ट्राली से एक बार में करीब ढाई क्विंटल मलबा लेकर बाहर आते थे।

मजदूरों के बाहर निकलने से पहले मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को फोन कर बचाव अभियान के बारे में अपडेट ली थी। उन्होंने कहा था कि अंदर फंसे मजदूरों की सुरक्षा के साथ-साथ बाहर राहत कार्य में लगे लोगों की सुरक्षा का भी विशेष ध्यान रखा जाए। उन्होंने कहा कि अंदर फंसे मजदूरों के परिवारों को किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होनी चाहिए।

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