विष्णुदेव साय होंगे छत्तीसगढ़ के सीएम

विष्णुदेव साय होंगे छत्तीसगढ़ के सीएम

रायपुर। भारतीय जनता पार्टी ने तीन में से एक राज्य का मुख्यमंत्री तय कर दिया। रविवार को हुई विधायक दल की बैठक में विष्णुदेव साय को छत्तीसगढ़ के नए मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया। वे आदिवासी समुदाय से आते हैं और प्रदेश के कुनकुरी से विधायक हैं। साय छत्तीसगढ़ के बड़े आदिवासी नेता हैं और उन्होंने अपना राजनीतिक सफर सरपंच से शुरू किया था। बताया जा रहा है कि उनके साथ दो उप मुख्यमंत्री बनाए जा सकते हैं। पिछ़ड़ी जाति से आने वाले अरुण साव और ब्राह्मण नेता विजय शर्मा के नाम की चर्चा है। 15 साल मुख्यमंत्री रहे रमन सिंह को स्पीकर बनाए जाने की चर्चा है।

बहरहाल, रविवार को हुई भाजपा विधायक दल की बैठक में रमन सिंह ने विष्णुदेव साय के नाम का प्रस्ताव रमन सिंह ने किया, जिस पर सभी विधायकों ने मुहर लगाई। तीन दिसंबर को छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से ही राज्‍य में मुख्‍यमंत्री को लेकर अटकलें लगाई जा रही थीं। भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की ओर से नियुक्त तीनों पर्यवेक्षक बैठक में मौजूद थे। गौरतलब है कि भाजपा ने आठ दिसंबर को केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, सर्बानंद सोनोवाल और दुष्यंत गौतम को पर्यवेक्षक नियुक्त किया था।

बैठक के बाद भाजपा नेताओं ने बताया कि पार्टी पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने साय के नाम का प्रस्ताव किया और प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव और वरिष्ठ नेता बृजमोहन अग्रवाल ने उनका समर्थन किया। भाजपा के प्रदेश कार्यालय कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में आयोजित इस बैठक में प्रदेश प्रभारी ओम माथुर, केंद्रीय मंत्री और चुनाव सह प्रभारी डॉक्टर मनसुख मांडविया और भाजपा संगठन सह प्रभारी नितिन नबीन की मौजूद थे।

विष्‍णुदेव साय ने अपना राजनीतिक सफर सरपंच के रूप में शुरू किया था। वे 1990 से लेकर 1998 तक मध्य प्रदेश विधानसभा के सदस्य भी रहे। साय 1999 में 13वीं लोकसभा के लिए रायगढ़ से चुने गए थे। उन्‍हें 2006 में छत्तीसगढ़ में पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया थाष साय केंद्र में राज्‍य मंत्री और भाजपा की राष्ट्रीय कार्य समिति के भी सदस्य रहे हैं। उन्‍हें राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ का भी समर्थन हासिल है। गौरतलब है कि 90 सदस्यों की छत्तीसगढ़ विधानसभा के लिए हाल में हुए चुनाव में भाजपा ने 54 सीट पर जीत दर्ज की। इससे पहले 2018 के चुनावों में भाजपा के लगातार 15 साल के राज का अंत हुआ था। तब भाजपा सिमट कर 15 सीटों पर आ गई थी।

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