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मुसलमान क्या मनुष्य नहीं?

अपन तो कहेंगे
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मुसलमान क्या मनुष्य नहीं?
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नमस्कार, मैं हरिशंकर व्यास। इजरायल ने हमास और हिजबुल्लाह को मिटाने की कसम खा रखी है। अब जंग छिड़ी है तो गजा पट्टी से लेकर लेबनान तक आम मुसलमान भी हमले का शिकार तो हो ही रहे हैं और वो यहां से दूसरी जगह शरण की ताक में लगे हैं लेकिन उन्हें शरण देने के लिए वो मुसलमान देश भी तैयार नहीं जो दिन रात इस्लाम और ईमान की दुहाई देते रहते हैं। यहीं नहीं दुनियाभर में खुद से खुद को सबसे विद्धान बताने वाले तथाकथित इस्लामिक स्कालर ऐसे ऐसे बयान देते हैं कि आदमी सिर पीट ले। ऐसे में अगर कोई मुसलमान ये सवाल उठाए कि क्या मुसलमान मनुष्य नहीं हैं? तो उसका जवाब क्या है और इसके जिम्मेदार कौन है। इन्हीं सवालों के बीच कॉलम अपन तो कहेंगे में आज मेरे विचार का शीर्षक है।

मुसलमान क्या मनुष्य नहीं?

By हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

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