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सौ साल के जिमी कार्टर!

अपन तो कहेंगे
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सौ साल के जिमी कार्टर!
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नमस्कार, मैं हरिशंकर व्यास। लोकतांत्रिक  सत्ता अगर मनावाधिकारों, विश्व शांति और समग्र समानता की सोच लिए हुए न हो तो फिर वो लोकतंत्र रहते हुए भी लोकतंत्र की मूल भावना से हमेशा भटका रहेगा। दरअसल ये बात मेरे जेहन में इसलिए आई कि एक तो अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव हो रहा हैं और उसमें डेमोक्रेट उम्मीदवार कमला हैरिस की जीत संभावना बढ़ती जा रही है तो दूसरी तरफ आज दुनिया जिस संकट से गुजर रही है और ठीक  इसी दौरान अमेरिका के एक पूर्व राष्ट्रपति जिमी कार्टर अपनी जिंदगी के सौ साल पूरे करने जा रहे हैं और आपको बता दूं कि जिमी कार्टर ही  दुनिया के एक ऐसे नेता रहे जिन्होंने पूरी दुनिया में मानवाधिकारों, विश्व शांति और समानता के लिए जितना हो सका सत्ता में रहते हुए भी और उसके बाद भी काम किया। जिमी कार्टर ही अमेरिका के ऐसे राष्ट्रपति रहे जो इमरजेंसी खत्म होने के बाद 1978 में भारत आए और भारत के लोकतंत्र को सलाम किया तो भारत ने भी उनका भव्य स्वागत किया और आज वो समय आ गया है जब अमेरिकी जनता जिमी कार्टर की सोच को सम्मान देते हुए अमेरिका में

डोनाल्ड ट्रंप को एक और मौका न दे।

सौ साल के जिमी कार्टर!

By हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

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