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राजनीति हमें बीहड़ में ले आई!

अपन तो कहेंगे
अपन तो कहेंगे
राजनीति हमें बीहड़ में ले आई!
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नमस्कार, मैं हरिशंकर व्यास, एक जमाना था जब बंगाल भारत का मार्गदर्शक हुआ करता था। आजादी से पहले अंग्रजों के तमाम विभाजनकारी तिकड़मों से लड़ते-भिड़ते और आजादी के बाद के कुछ दशकों तक बंगाल और बांग्ला संस्कृति, साहित्यकलासंगीत ने अपनी अलग पहचान बनाए रखी थी। लेकिन उसके बाद पहले कम्युनिष्ट राज, फिर ममता बनर्जी और मोदी-शाह के बीच बंगाल पर किसी भी तरह कब्जा बनाए रहने की राजनैतिक प्रतिशोध की भावना ने इधर के बंगाल और बांग्ला संस्कृति, संस्कार, बौद्धिकताशिक्षा सबका का बंटाधार किया हुआ है। तो उधर बांग्लादेश बनने से पहले पाकिस्तानी पंजाब डौमिनेटेड सत्ता ने और फिर बांग्लादेश बनने के बाद शेख हसीना से लेकर खालिदा जिया सबने बांग्लादेश और वहां कि बांग्ला संस्कृति और संस्कार का नाश ही किया है। हिंदू बनाम मुस्लिम कट्टरपंथ के नैरेटिव में  मौजूदा राजनीति बंगाल और बांग्लादेश की पुरानी बांग्ला संस्कृति, साहित्यकलासंगीत, शिक्षा, संस्कार, बौद्धिकता का ह्रास करती विनाश की ओर ले जा रही है। अब ऐसे में चाहे कितना भी कठोर कानून बना लें, लूट-खसोट, जोर जबरदस्ती, मनमानी की मानसिकता नहीं खत्म होने वाली।  इसलिए अपन तो कहेंगे कॉलम में इन बार में मेरे विचार का शीर्षक है…राजनीति हमें बीहड़ में ले आई!

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