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दो लोकतंत्र, एक चिंता!

अपन तो कहेंगे
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दो लोकतंत्र, एक चिंता!
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नमस्कार, मैं हरिशंकर व्यास, दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत और दुनिया के सबसे मजबूत लोकतंत्र अमेरिका की चिंता इन दिनों एक जैसी दिखती है। डोनाल्ड ट्रंप जिस कनाडा को अमेरिका में शामिल करने की बात कर रहे हैं उसके बारे में होमर डिक्सन ने तीन साल पहले जो चिंता जताते हुए लिखा था वो सही साबित होता जा रहा है। अमेरिका में दक्षिणपंथी तानाशाही से लोकतंत्र के ध्वंस से कनाडा के वजूद को चुनौती मिल सकती है और इसका असर भारत समेत विश्वव्यापी हो सकता है यानी ये भारत की सत्ता के लिए भी प्रेरणादायी साबित हो सकचा है। इसीलिए कॉलम अपन तो कहेंगे में आज मेरे विचार का शीर्षक है.  दो लोकतंत्रएक चिंता!

By हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

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