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आंखों के आगे इतिहास!

अपन तो कहेंगे
अपन तो कहेंगे
आंखों के आगे इतिहास!
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नमस्कार, मैं हरिशंकर व्यास, दुनिया का सबसे मजबूत लोकतंत्र अमेरिका क्या वाकई अपनी मजबूती बरकरार रख पाएगा ये इस समय लोगों के बीच या कहें तो पूरी दुनिया में सबसे रोचक और चर्चा का विषय बन गया लगता है। क्योंकि मौजूदा वक्त में चाहे वो जंग हो या फिर जलवायु परिवर्तन या फिर जिंदगी में एआई का बढ़ता दखल, इस माहौल है अमेरिका को नया राष्ट्रपति मिलने जा रहा है और अगर वो राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हुए तो फिर इस दुनिया का क्या होगा इसे लेकर एक नई तरह की चिंता उभर कर सामने आ आती लग रही क्योंकि डोनाल्ड ट्रंप की सोच बांटो और राज करो की दिखती है। इसलिए कॉलम अपन तो कहेंगे में इस बार मेरे विचार का शीर्षक है

 आंखों के आगे इतिहास!

By हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

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