ऐसा नहीं है कि केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई सिर्फ विपक्षी पार्टियों के शीर्ष नेताओं पर ही हो रही है। उनके साथ साथ ऐसे नेताओं को खासतौर से निशाना बनाया जा रहा है, जो कारोबारी हैं और पैसे वाले हैं। इसमें भी एक पैटर्न दिख रहा है। पैसे वाले कारोबारी नेताओं को निशाना बनाने से पार्टियों के लिए पैसे का इंतजाम मुश्किल होगा, पैसे के लेन-देन का रास्ता बंद होगा और चुनाव तैयारियां प्रभावित होंगी। बिहार में लालू प्रसाद की पार्टी राजद के पैसे वाले नेताओं पर केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई में यह पैटर्न दिख रहा है। पिछले कुछ दिनों में लालू प्रसाद की पार्टी की चार पैसे वाले नेताओं पर कार्रवाई हुई है। एक नेता गिरफ्तार भी हुए थे हालांकि बाद में वे जमानत पर छूट गए। उन्हीं के ऊपर सबसे पहले कार्रवाई हुई थी।
जब बिहार में जदयू और भाजपा की सरकार चल रही थी उसी समय ईडी ने राजद के राज्यसभा सांसद अमरेंद्रधारी सिंह को गिरफ्तार किया था। वे राज्यसभा के सबसे अमीर सांसदों में से हैं। नामांकन दाखिल करते हुए उन्होंने अपनी निजी संपत्ति 238 करोड़ रुपए और एक साल की कमाई 74 करोड़ रुपए बताई थी। हालांकि गिरफ्तारी के दो महीने बाद ही उनको हाई कोर्ट से जमानत मिल गई। उसके बाद राजद के कोषाध्यक्ष और एमएलसी सुनील सिंह के यहां आयकर विभाग ने छापा मारा। वे सहकारिता से जुड़े हैं। इसके बाद पिछले साल नवंबर में राजद के विधायक और नीतीश कुमार की सरकार के उद्योग मंत्री समीर महासेठ के यहां आयकर विभाग ने छापेमारी की। वे भी बड़े कारोबारी हैं। अब ईडी ने लालू प्रसाद की पार्टी के पूर्व विधायक और बिल्डर अबू दोजाना के यहां छापा मारा है। एडी सिंह, सुनील सिंह, समीर महासेठ और अबू दोजाना ये सब राजद के वित्तीय प्रबंधन करने वाले नेता हैं।