nayaindia Suspense of Delhi mayor election दिल्ली के मेयर चुनाव का सस्पेंस
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दिल्ली के मेयर चुनाव का सस्पेंस

ByNI Political,
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दिल्ली नगर निगम के मेयर का चुनाव शुक्रवार को होगा। आम आदमी पार्टी को निगम चुनाव में पूर्ण बहुमत मिला है इसलिए कायदे से उसका मेयर चुना जाना चाहिए। इसी लाइन पर भाजपा ने स्टैंड भी लिया था और कहा था कि आम आदमी पार्टी जीती है तो वह अपना मेयर बनाए, भाजपा निगम को चलाने में उसके साथ सहयोग करेगी। लेकिन थोड़े दिन के बाद भाजपा का इरादा बदल गया और उसने चुनाव लड़ने का फैसला किया। भाजपा ने रेखा गुप्ता को मेयर पद का उम्मीदवार बनाया है। आम आदमी पार्टी की ओर से शैली ओबेरॉय उम्मीदवार हैं। पहली नजर में आम आदमी पार्टी के पास पूर्ण बहुमत है। इसके अलावा अगर जरूरत पड़ी तो कांग्रेस के नौ पार्षद भी उसका समर्थन कर सकते हैं। चूंकि इस चुनाव में दलबदल का नियम नहीं है और न व्हिप का नियम है इसलिए कांग्रेस नहीं भी चाहे तो उसके पार्षद आप को वोट कर सकते हैं। कांग्रेस के नौ में से सात पार्षद मुस्लिम हैं और वे भाजपा को रोकने के लिए आप के साथ जा सकते हैं।

पर इससे ज्यादा सस्पेंस इस बात का है कि भाजपा ने किस आधार पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। भाजपा कभी भी हारने के लिए चुनाव नहीं लड़ेगी। अगर उसको लग रहा होता कि वह नहीं जीत सकती है तो उसने उम्मीदवार नहीं उतारा होता। उसने न सिर्फ उम्मीदवार उतारा है, बल्कि पार्टी के बड़े नेता चुनाव तैयारियों पर नजर रखे हुए हैं। भाजपा के सभी 104 पार्षदों को वोट देने का प्रशिक्षण दिया गया है। मेयर चुनाव से दो दिन पहले उप राज्यपाल ने राज्य सरकार को बाईपास करके 10 पार्षद मनोनीत कर दिए, जिनको भाजपा कार्यकर्ता बताया जा रहा है। हालांकि ये वोट नहीं कर सकेंगे लेकिन इसके जरिए भी भाजपा ने एक मैसेज दिया है।

नगर निगम के ढाई सौ सदस्यों में से आप के पास 135 और भाजपा के पास 104 पार्षद हैं। दोनों की संख्या में बड़ा अंतर है। भाजपा के सात लोकसभा सांसद और आप के तीन राज्यसभा सांसद भी वोट करेंगे। विधानसभा अध्यक्ष की ओर से मनोनीत 14 विधायक भी वोटिंग में हिस्सा लेंगे, जिसमें ज्यादातार आप के होंगे। सबको मिला कर कुल 274 लोग वोट करें और बहुमत का आंकड़ा 138 का है, जबकि आप का आंकड़ा करीब डेढ़ सौ का बनता है। फिर भी भाजपा चुनाव लड़ी है तो कुछ न कुछ उसके पास है। कहा जा रहा है कि भाजपा से बागी होकर आप से चुनाव लड़े करीब 20 पार्षद भाजपा के संपर्क में हैं। हालांकि इतने से भी भाजपा की संख्या पूरी नहीं होती है। तभी चुनाव का सस्पेंस बन गया है।

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