nayaindia temple and manas dispute congress मंदिर व मानस विवाद और कांग्रेस की चिंता

मंदिर व मानस विवाद और कांग्रेस की चिंता

कांग्रेस पार्टी को मंदिर मुद्दे का जवाब तलाशना है तो साथ ही रामचरित मानस के खिलाफ जो आंदोलन शुरू होने वाला है उसका भी जवाब तलाशना है। कांग्रेस ने अपनी राजनीति की है। राहुल गांधी ने पांच महीने यात्रा की और कांग्रेस के लिए आगे की राजनीति का एजेंडा सेट किया। लेकिन ऐसा नहीं है कि अब राजनीति कांग्रेस के एजेंडे पर होगी। भारतीय जनता पार्टी का एजेंडा पहले से सेट है। उसको मंदिर और हिंदुत्व के नाम पर राजनीति करनी है। पार्टी ने ऐलान कर दिया है कि एक जनवरी 2024 को भव्य राममंदिर का उद्घाटन होगा। उधर महाराष्ट्र में भाजपा के नेतृत्व में आरएसएस, विहिप, हिंदू सेना आदि का जैसा जुलूस निकला है और लव जिहाद, धर्मांतरण को मुद्दा बनाया गया है उससे तय हो गया है कि भाजपा का मुद्दा क्या है।

दूसरी ओर विपक्ष की पार्टियां अपना एजेंडा सेट कर रही हैं। उनको भी भाजपा के एजेंडे पर राजनीति नहीं करनी है। विपक्ष में भी कांग्रेस को बिहार और उत्तर प्रदेश की पार्टियों की ज्यादा चिंता है, जो रामचरित मानस को पिछड़ा और दलित विरोधी ठहरा कर उसके नाम पर अगड़ा बनाम पिछड़ा की राजनीति करना चाह रही हैं। कांग्रेस को इस पर भी जवाब देना होगा। उसके साथ मुश्किल यह है कि वह न तो मंदिर के साथ खड़ी हो सकती है और न मानस विरोधियों के साथ। कुछ अन्य विपक्षी पार्टियां खुल कर अस्मिता की राजनीति कर रही हैं। उन्होंने भाषायी या क्षेत्रीय अस्मिता का मुद्दा बनाया है। ममता बनर्जी से लेकर एमके स्टालिन तक की पार्टी इस लाइन पर राजनीति करेगी। कांग्रेस को उनके साथ भी तालमेल बैठाने के लिए काफी समझौता करना पड़ेगा।

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