एक ऐसी हार जिसे ना सिर्फ खिलाड़ी बल्कि फैंस भी शायद ही कभी भूल पाएंगे। इस मुकाबले में पंजाब किंग्स ने महज 112 रनों का बेहद मामूली लक्ष्य खड़ा किया था, जिसे किसी भी मानक से एक आसान लक्ष्य माना जा सकता है।
लेकिन क्रिकेट के खेल में कब क्या हो जाए, यह कोई नहीं कह सकता – और इस मैच ने एक बार फिर यही साबित कर दिया। कोलकाता नाइट राइडर्स की बल्लेबाजी पूरी तरह से लड़खड़ा गई और महज 95 रनों पर पूरी टीम पवेलियन लौट गई।
पंजाब किंग्स के स्पिनर युजवेंद्र चहल इस जीत के असली हीरो बने, जिन्होंने अपनी फिरकी के जाल में केकेआर के बल्लेबाजों को बुरी तरह उलझा दिया। चहल ने 4 ओवर में सिर्फ 28 रन देकर 4 महत्वपूर्ण विकेट अपने नाम किए और मैच का रुख पूरी तरह पंजाब की ओर मोड़ दिया।
चहल के अलावा मार्को यानसन भी कहर बनकर टूटे। उन्होंने महज 17 रन खर्च करके 3 विकेट झटके और केकेआर की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। वहीं बार्टलेट, अर्शदीप सिंह और ग्लेन मैक्सवेल ने भी एक-एक विकेट लेकर केकेआर के लिए हर दरवाजा बंद कर दिया।
यह मुकाबला आईपीएल इतिहास में सबसे कम स्कोर बचाने वाली टीम के तौर पर पंजाब किंग्स के लिए ऐतिहासिक बन गया है। उन्होंने 111 रनों का स्कोर बचाकर एक नया रिकॉर्ड कायम किया है, जो दर्शाता है कि क्रिकेट में सिर्फ बड़ा स्कोर ही नहीं, बल्कि दमदार रणनीति, अनुशासन और जुनून भी जीत दिला सकता है।
कोलकाता नाइट राइडर्स के लिए यह हार सिर्फ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि एक सबक भी है – कि किसी भी विपक्षी को हल्के में लेना भारी पड़ सकता है, और लक्ष्य चाहे जितना भी छोटा हो, जीत का रास्ता मेहनत और एकाग्रता से ही तय होता है।
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— IndianPremierLeague (@IPL) April 15, 2025
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पंजाब किंग्स के लिए छोटा लक्ष्य बना पहाड़?
कोलकाता नाइट राइडर्स की टीम को जब मुल्लांपुर की पिच पर जीत के लिए उतारा गया, तो लक्ष्य बहुत बड़ा नहीं था। ऐसा लग रहा था कि यह मुकाबला आसानी से कोलकाता की झोली में चला जाएगा। लेकिन क्रिकेट अनिश्चितताओं का खेल है और इस बार यही अनिश्चितता कोलकाता पर भारी पड़ गई।
पिच भले ही आसान नहीं थी, लेकिन लक्ष्य को देखते हुए कोलकाता को मजबूत शुरुआत की ज़रूरत थी। दुर्भाग्यवश, टीम को शुरुआती झटके लगे।
केवल दो ओवर के भीतर ही उसके दोनों ओपनर पवेलियन लौट चुके थे। पहले सुनील नरेन को क्लीन बोल्ड कर दिया गया और उसके ठीक बाद क्विंटन डिकॉक भी आउट होकर चलते बने।
अब सारा भार युवा अंगकृष रघुवंशी और अनुभवी कप्तान अजिंक्य रहाणे के कंधों पर आ गया। इन दोनों ने सूझबूझ से खेलते हुए पारी को संभाला और टीम को पचास के पार पहुंचाया।
मैदान पर माहौल कुछ ऐसा बनने लगा था कि अब तो केकेआर आराम से ये मैच निकाल लेगी। लेकिन तभी मैच का रुख ऐसा बदला कि सब हैरान रह गए।
पंजाब किंग्स की ओर से युजवेंद्र चहल ने जादू बिखेरना शुरू किया। उन्होंने पहले रहाणे को एलबीडब्ल्यू कर कोलकाता की रीढ़ तोड़ दी और फिर अंगकृष को भी चलता किया, जो अच्छी बल्लेबाजी कर रहे थे। उन्होंने 28 गेंदों में 37 रन बनाए थे। इसके बाद जैसे कोलकाता की पारी बिखरने लगी।
वेंकटेश अय्यर को ग्लेन मैक्सवेल ने एलबीडब्ल्यू आउट कर मैच को पूरी तरह रोमांचक बना दिया। और फिर आया वो ओवर, जिसने पूरे मैच का नक्शा ही बदल दिया।
12वें ओवर में पंजाब किंग्स के चहल ने लगातार दो गेंदों पर दो विकेट चटकाए — पहले रिंकू सिंह को स्टंप आउट कराया और फिर अगली ही गेंद पर रमनदीप सिंह को आउट कर दिया।
इस दबाव को कोलकाता के बाकी बल्लेबाज़ झेल नहीं पाए। चहल को मार्को यानसन और अर्शदीप सिंह का शानदार साथ मिला। भले ही रसेल ने चहल के आखिरी ओवर में 16 रन ठोक दिए, लेकिन इसके बाद अर्शदीप ने वैभव अरोड़ा को आउट किया और यानसन ने रसेल का भी शिकार कर पंजाब को एक चमत्कारिक जीत दिला दी।
यह मुकाबला सबको याद दिला गया कि क्रिकेट में कुछ भी निश्चित नहीं होता। एक समय जीत की तरफ बढ़ती कोलकाता की टीम एकदम से धराशायी हो गई। चहल की फिरकी, यानसन की सटीकता और अर्शदीप की धारदार गेंदबाज़ी ने इस हार की पटकथा लिखी।
पंजाब किंग्स की बल्लेबाजी रही नाकाम
पंजाब किंग्स की टीम ने एक बार फिर बल्लेबाजी में अपने फैंस को निराश किया। शुरुआत में ऐसा लग रहा था कि टीम एक बड़ा स्कोर खड़ा करेगी, लेकिन कुछ ही ओवरों में हालात पूरी तरह बदल गए।
ओपनर प्रियांश आर्या ने तेज़ 12 गेंदों में 22 रन बनाकर आक्रामक शुरुआत की, वहीं प्रभसिमरन सिंह ने 15 गेंदों में 30 रनों की तेज पारी खेली और टीम को अच्छी ओपनिंग दी। लेकिन इसके बाद जैसे पंजाब की किस्मत ही पलट गई।
हर्षित राणा ने पंजाब के टॉप तीन बल्लेबाजों को पवेलियन भेजकर पूरे मैच की दिशा ही बदल दी। टीम के कप्तान श्रेयस अय्यर बिना खाता खोले ही आउट हो गए, जिससे टीम को बड़ा झटका लगा।
इसके बाद जॉश इंग्लिस महज़ 2 रन बनाकर चलते बने। नेहाल वढेरा से उम्मीदें थीं, लेकिन वे भी केवल 10 रन बना सके। ग्लेन मैक्सवेल का खराब फॉर्म जारी रहा और वो एक बार फिर फ्लॉप रहे, इस बार भी सिर्फ़ 7 रन ही जोड़ सके।
इंपैक्ट प्लेयर सूर्यांश शेड्गे से भी कोई खास योगदान नहीं मिला और वे केवल 4 रन बनाकर पवेलियन लौट गए। मिडिल ऑर्डर में शशांक सिंह ने 18 रनों की संघर्षपूर्ण पारी खेली, जबकि बार्टलेट ने 11 रन जोड़कर टीम को किसी तरह 111 रनों के स्कोर तक पहुँचाया।
यह स्कोर टी20 के लिहाज़ से बेहद छोटा था और लगा कि मैच यहीं खत्म हो गया है, लेकिन कहानी में ट्विस्ट बाकी था। पंजाब किंग्स के गेंदबाजों ने मैदान पर वो करिश्मा कर दिखाया जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी।
उन्होंने अनुशासित गेंदबाज़ी और बेहतरीन रणनीति से विपक्षी टीम को घुटनों पर ला दिया। पंजाब किंग्स की इस चमत्कारिक गेंदबाज़ी ने एक छोटे स्कोर को भी जीत में बदल दिया और दिखा दिया कि अगर जज़्बा हो, तो कोई भी स्कोर असंभव नहीं होता।
पंजाब किंग्स की इस जीत ने साबित कर दिया कि क्रिकेट सिर्फ़ बैट से नहीं, गेंद और दिल से भी जीता जाता है।