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कांग्रेस से पंजाब में बाकि सभी बैकफुट पर

कांग्रेस पार्टी ने पंजाब में अपनी सारी विरोधी पार्टियों को बैकफुट पर ला दिया है। तीनों विपक्षी पार्टियां जिस एजेंडे को लेकर चुनाव मैदान में उतरने वाली थीं, कांग्रेस ने उसे पंक्चर कर दिया है।

भाजपा में कैप्टेन के लिए कुछ नहीं!

पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज कैप्टेन अमरिंदर सिंह का राजनीति पर सबकी नजर है। उन्होंने यह कहा है कि उनके लिए सारे रास्ते खुले हुए हैं।

पंजाब का जोड़-घटाव

दलित बहुसंख्या वाले पंजाब के खेतिहर मजदूर संगठनों को कांग्रेस के इस दांव ने ज्यादा आकर्षित नहीं किया है। उन खेतिहर मजदूर संगठनों ने दो टूक कहा है कि मुख्यमंत्री दलित हो या जाट- उससे फर्क नहीं पड़ता।

कांग्रेस नेता के ‘पंज प्यारा’ वाले बयान को लेकर पंजाब में ताजा विवाद

हरीश रावत ने मंगलवार को उनकी और उनके कार्यकारी अध्यक्षों की तुलना गुरु गोबिंद सिंह द्वारा खालसा में शामिल किए गए “पंज प्यारों” से की।

संसद नहीं चलने से किसका भला!

अमित शाह ने अपने खास अंदाज में घटना की क्रोनोलॉजी समझाते हुए कहा कि इस तरह की चीजों से कुछ लोग विकास को पटरी से उतारना चाहते हैं। मकसद तो सरकार ने बता दिया पर बड़ा सवाल है कि कौन ऐसा कर रहा है? सरकार उसका पता क्यों नहीं लगा रही है और सबसे बड़ा सवाल यह है कि संसद नहीं चलने का फायदा किसको होना है?

विपक्ष की साझेदारी कहां है

आम आदमी पार्टी को पंजाब में इस बार ज्यादा आक्रामक तरीके से चुनाव लड़ना है। तभी आप ने कृषि बिल पर चर्चा के लिए नोटिस दिया है। कायदे से कृषि कानूनों और किसानों का मुद्दा समूचे विपक्ष को साझा तौर पर उठाना चाहिए था। कांग्रेस, लेफ्ट, एनसीपी आदि पार्टियों को एक साथ मिल कर यह मुद्दा उठाना चाहिए था।

अतिरिक्त प्रभार वाली शासन व्यवस्था

modi government administration : ऐसा नहीं है कि भारत सरकार सिर्फ एक्सटेंशन पाए अधिकारियों के सहारे चल रही है, अतिरिक्त प्रभार वाले अधिकारी, मंत्री, राज्यपाल, प्रशासक आदि भी इसमें अपना योगदान दे रहे हैं। सरकार के पास समय ही नहीं है कि वह पूर्णकालिक नियुक्ति कर सके! दिल्ली पुलिस के कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव रिटायर हुए हैं तो केंद्र सरकार ने उनकी जगह बालाजी श्रीवास्तव को दिल्ली पुलिस कमिश्नर का अतिरिक्त प्रभार सौंपा है। वे दिल्ली पुलिस के विशेष आयुक्त की अपनी मौजूदा जिम्मेदारी के साथ साथ दिल्ली पुलिस आयुक्त का काम भी संभालेंगे। ठीक इसी तरह एसएन श्रीवास्तव को एक मार्च 2020 को दिल्ली पुलिस आयुक्त का अतिरिक्त प्रभार मिला था। उसके बाद वे मई 2021 तक अतिरिक्त प्रभार में ही काम करते रहे। रिटायर होने से एक महीना पहले उनको स्थायी नियुक्ति दी गई। अभी पिछले दिनों केंद्र सरकार ने बड़े शोर-शराबे के बाद सीबीआई का पूर्णकालिक निदेशक नियुक्त किया। उससे पहले चार महीने तक प्रवीण सिन्हा एडिनशल चार्ज में सीबीआई निदेशक का काम देखते रहे थे। यह भी पढ़ें: कश्मीरी पंडितों की सरकार से नाराजगी केंद्र सरकार के कई अहम मंत्रालय अतिरिक्त प्रभार में चल रहे हैं। भाजपा की सहयोगी शिव सेना अलग हुई तो उसके कोटे के… Continue reading अतिरिक्त प्रभार वाली शासन व्यवस्था

25 साल बाद अकाली और बसपा साथ

चंडीगढ़। पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम हुआ है। भाजपा से अलग हुई अकाली दल ने बहुजन समाज पार्टी के साथ चुनावी तालमेल कर लिया है। दोनों पार्टियां 25 साल बाद साथ आईं हैं और मिल कर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। चुनाव जीतने पर दलित उप मुख्यमंत्री बनाने का ऐलान कर चुके अकाली दल को बसपा के साथ आने से बड़ा फायदा होने की उम्मीद है। शिरोमणी अकाली दल और बहुजन समाज पार्टी ने शनिवार को सीटों के बंटवारे का भी ऐलान कर दिया। बसपा नेता सतीश चंद्र मिश्र की मौजूदगा में प्रेस कांफ्रेंस में गठबंधन की घोषणा करते हुए अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने इस गठबंधन को पंजाब की राजनीति में नया सवेरा बताया। उन्होंने कहा- आज ऐतिहासिक दिन है, पंजाब की राजनीति की बड़ी घटना है। बादल ने कहा कि अकाली दल और बसपा साथ मिल कर 2022 विधानसभा चुनाव और अन्य चुनाव लड़ेंगे। बादल ने सीटों की घोषणा करते हुए कहा कि राज्य की 117 विधानसभा सीटों में से बसपा 20 पर चुनाव लड़ेगी और बाकी 97 सीटों पर अकाली दल के उम्मीदवार लड़ेंगे। बसपा माझा में पांच, दोआबा में आठ और मालवा इलाके में सात सीटों पर लड़ेगी। उसके… Continue reading 25 साल बाद अकाली और बसपा साथ

एनडीए छोड़ रहे हैं घटक दल!

ऐसा लग रहा है कि भारतीय जनता पार्टी को सहयोगी पार्टियों की जरूरत नहीं है और इसलिए उनकी चिंता भी नहीं है। भाजपा की इस सोच का संकेत इस बात से मिलता है कि एक-एक करके उसकी सहयोगी पार्टियां उसे छोड़ती जा रही है

भाजपा को क्यों चिंता नहीं है सहयोगियों की?

भारतीय जनता पार्टी की 20 के करीब सहयोगी दल एनडीए छोड़ चुके हैं। हाल के दिनों में चार पार्टियों ने एनडीए का साथ छोड़ा है। लेकिन भाजपा में इसे लेकर रत्ती भर चिंता नहीं दिखी।

अकाली दल का जवाब देना आसान नहीं

अब भारतीय जनता पार्टी और अकाली दल आमने-सामने हैं। अकाली दल ने भाजपा से नाता तोड़ कर खुद को एनडीए से अलग कर लिया है। वापस तालमेल होने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर पार्टी के नेता सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि उनके यहां रिवर्स गियर नहीं है।

मनसे आएगी, अकाली बाहर होंगे

अकाली दल और भाजपा का तालमेल क्या खत्म होने वाला है? अकाली दल के नेता सुखबीर बादल ने हालांकि इससे इनकार किया है। उन्होंने दिल्ली के चुनाव में भाजपा का समर्थन भी कर दिया है। पर भाजपा को समर्थन करने का फैसला बहुत बाद में और बहुत मान मनौव्वल के बाद आया है।

छोटी पार्टियों का क्या होगा?

भाजपा की बड़ी सहयोगी पार्टियों में से शिव सेना बाहर हो गई है और जदयू को इस बार मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है। छोटी पार्टियों में अकाली दल और रामदास अठावले की आरपीआई को सरकार में जगह मिली हुई है। यह देखना दिलचस्प है कि भाजपा आगे क्या करती है।

जजपा, अकाली दल क्यों नहीं लड़े?

जिस तरह दिल्ली के चुनाव में यह बड़ा सवाल है कि जदयू और लोजपा ने भाजपा से क्यों तालमेल कर लिया उसी तरह का सवाल है कि अकाली दल और हरियाणा में भाजपा की सहयोगी जननायक जनता पार्टी चुनाव क्यों नहीं लड़े? पहले कहा जा रहा था कि भाजपा अकाली दल को चार सीटें देने जा रही है और जजपा को पांच-छह सीट दी जा सकती है।

भाजपा दिल्ली में करेगी तालमेल!

भारतीय जनता पार्टी के पास कोई चेहरा आगे करके चुनाव लड़ने की बजाय दो पार्टियों के साथ तालमेल करके सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने का विकल्प भी है। भाजपा की दो सहयोगी पार्टियों, अकाली दल और दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी के साथ तालमेल की बात चल रही है।

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