Badass of Bollywood

  • चमक, दमक, धमक से भरपूर: ‘बैड्स ऑफ़ बॉलीवुड’

    'बैड्स ऑफ़ बॉलीवुड' के हर डिपार्टमेंट में अच्छा काम किया गया है। कलाकारों की परफॉर्मेंस की बात करें तो वो इसका एक बेहद मज़बूत पहलू है। एक से एक मंझे हुए कलाकारों में मनोज पाहवा इस शो की आत्मा हैं। उनकी कॉमिक टाइमिंग और भावनात्मक गहराई दोनों ही कमाल की हैं। नए कलाकारों में लक्ष्य और राघव जुयाल दोनों ने स्ट्रगलिंग अभिनेताओं की भूमिका में ज़बरदस्त काम किया है। सिने-सोहबत बेहद सफल मां-बाप के बच्चों पर ज़िंदगी में बहुत अच्छा कर गुज़रने का प्रेशर बनाने से समाज कभी भी पीछे नहीं हटा है। फ़िल्मी दुनिया में भी गाहे बगाहे ऐसे...

  • अरे इतनी हिम्मत? अपनी बेतुकियों पर हँसने की!

    सच मानिए, बॉलीवुड ठहर गया है। पिछले कुछ सालों में जो फ़िल्में आईं, वे आईं और चली गईं। बिना कोई छाप, हलचल छोड़े और  बिना किसी फ्रेम को यादगार बनाए। वह इंडस्ट्री जो कभी सपने बेचती थी, अब पूरी तरह फ़ॉर्मूलों में सिमट चुकी है: फूले हुए बजट, सुरक्षित कहानियाँ, रीमेक के रीमेक। यहाँ तक कि इसका संगीत—जो कभी बॉलीवुड की धड़कन था, भी रूखा-सूखा व नीरसता में डूबा हुआ। हर धुन या तो किसी घिसे-पिटे देशभक्ति गीत की कॉपी लगती है, या फिर नैतिकता का प्रवचन। जो कभी लफ्ज-धुन रोंगटे खड़े कर देता था, दिमाग में शब्दों को, ट्यूब...