Badass of Bollywood

  • अरे इतनी हिम्मत? अपनी बेतुकियों पर हँसने की!

    सच मानिए, बॉलीवुड ठहर गया है। पिछले कुछ सालों में जो फ़िल्में आईं, वे आईं और चली गईं। बिना कोई छाप, हलचल छोड़े और  बिना किसी फ्रेम को यादगार बनाए। वह इंडस्ट्री जो कभी सपने बेचती थी, अब पूरी तरह फ़ॉर्मूलों में सिमट चुकी है: फूले हुए बजट, सुरक्षित कहानियाँ, रीमेक के रीमेक। यहाँ तक कि इसका संगीत—जो कभी बॉलीवुड की धड़कन था, भी रूखा-सूखा व नीरसता में डूबा हुआ। हर धुन या तो किसी घिसे-पिटे देशभक्ति गीत की कॉपी लगती है, या फिर नैतिकता का प्रवचन। जो कभी लफ्ज-धुन रोंगटे खड़े कर देता था, दिमाग में शब्दों को, ट्यूब...