पंचम शब्द से जुड़ा है वसंत का स्वरूप
वेदों में वसंत को संवत्सर का मुख कहा गया है, इस दृष्टि से यह वसंत प्रथम ऋतु है। मुख होने के दो अर्थ होते हैं- एक वर्ष का वसंत से प्रारंभ होना, और दूसरा वर्ष की वसंत से पहचान होना। इनमें पहला अर्थ वर्ष का वसंत से प्रारम्भ होना प्रमुख भी है और सर्वमान्य भी। इसीलिए चैत्र से आरंभ होते वर्ष के लिए चैत्र-वैशाखयोर्वसन्त: कहा गया है। वैदिक मास में यह मधुमास व माधवमास है। परन्तु चैत्र तक ग्रीष्म ऋतु के अपनी धमक थोड़ी तेज कर देने से लगता है कि वसंत को तो फाल्गुन मास तक प्रवेश कर लेना...