अनंत रूपा और अनंत सामर्थ्य संपन्ना शक्ति
भारतीय संस्कृति ने प्रकृति को शक्ति माना और देवी की तरह पूजनीय स्थान दिया। यह शक्ति शाश्वत और सक्रिय है। वैदिक वचनों और संहिताओं में इसका उल्लेख है, और इसे ब्रह्म की गति और अभिव्यक्ति कहा गया है। यही परम सत्य है, जो ऋग्वेद से लेकर परमाणु की ऊर्जा तक विद्यमान है। मान्यता है कि शक्ति ईश्वर की माया है, जो उसकी आज्ञा से सृष्टि रचती है। यही अनंतरूपा और अनंतसामर्थ्यसंपन्ना है। परमात्मा, जीवात्मा और प्रकृति — ये तीनों अनादि और अजन्मा हैं। ये हमेशा से हैं और हमेशा रहेंगे। भारतीय संस्कृति ने प्रकृति को शक्ति माना और देवी की...