चुनावी लुभावने वादे किसके दम पर….?
भोपाल। पिछली शताब्दी के सत्तर के दशक में एक फिल्म आई थी, जिसमें एक गाने के बोल थे- ‘‘कसमें वादे प्यार वफा, सब बातें है, बातों का क्या....’’ वैसे फिल्म में तो यह गाना उसके कथानक पर था, किंतु वास्तव में देखा जाए तो यह गाना फिल्म के कथानक से ज्यादा हमारे देश की राजनीति पर अवतरित होता है, अब इसे हमारे प्रजातंत्र या चुनाव प्रणाली का दोष कहे? या और कुछ, किंतु यह सही है कि चुनावों के समय विजय प्राप्त करने के लिए बढ़-चढ़कर आकर्षित व लोक-लुभावन नारे और वादे मतदाताओं के सामने परोसे जाते है और विजय...