विघ्नराज से मंगलकर्ता हुए विनायक
विद्वानों के अनुसार उस समय विनायक को विघ्न डालने वाले जीव माना जाता था, जिन्हें शांत करने के लिए पूजा की जाती थी। बाद में यही विनायक विघ्नों के नाशक और मंगलकर्ता हो गए। गृहसूत्रों में विनायक को भूपति, भूतपति, भूतानापति और भुवनपति की उपाधियां दी गई हैं। माना जाता है कि मूलतः मूषक रुद्र का वाहन था, पर उत्तरवैदिक काल में वह गणेश का वाहन मान लिया गया और धीरे-धीरे गणेश रुद्र से स्वतंत्र देवता बन गए। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से श्रीगणेश की भक्ति और भव्य पूजन की परंपरा शुरू हो जाती है। यह...