बौने लग्गूभग्गुओं के दौर का मीडिया
जो सल्तनत की हर अन्यायी नीति के कसीदे पढ़ने को अपनी तीर्थयात्रा समझ रहे हैं, उन्हें कौन बताए कि जनतंत्र के चौथे स्तंभ को वे किस कदर कलंकित कर रहे हैं? सुल्तान के गुनाह अपनी जगह। मगर सुल्तान से भी बड़े गुनाहगार वे हैं, जो रायसीना पर्वत के इशारे पर सुल्तान के गुनाहों का दिन-रात महिमामंडन कर रहे हैं। उन के पापों की चश्मदीद सूर्य की पहली किरण जिस दिन नए सूरज के गर्भ से निकलेगी, वह दिन क़यामत का होगा। कहते हैं, क़यामत के दिन सब के पापों का हिसाब होता है। तब तक चित्रगुप्त अपने बहीखाते में सब...