India language policy

  • सत्ता अपनी भाषा कब सुधारेगी?

    हिंदी को अहिंदी राज्यों में अलगाव में थोपने के बजाए हिंदी को जोड़ने व संपर्क भाषा होना हैं। हिंसा तो सत्ता खोने के डर से या सर्वसत्ता पाने की लालसा से ही उकसाई जाती है। समाज अपने व्यवहार की भाषा जानता-समझता है लेकिन सत्ता अपनी व्यवस्था-व्यापार की भाषा कब सुधारेगी? पण सत्तेचे ध्येय फक्त सत्ता आहे। भाषा के सदाचार से ही समाज में सदविचार और सद्भावना कायम होती हैं। इसलिए भाषा के लिए किसी के भी जीवन को दाव पर लगाना, हिंसा करना न अपनी भाषा से प्रेम जताता है। न ही मानवता से। और मानवता से प्रेम किए बिना भाषा...