Indore

  • सबसे बड़ी जीत इंदौर की रही

    इंदौर। कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय कांति बम के नाम वापस लेने की घटना से चर्चित रही इंदौर सीट पर भाजपा के उम्मीदवार ने सबसे ज्यादा अंतर से जीत हासिल की है। मुख्य विपक्षी पार्टी का उम्मीदवार नहीं होने की वजह से इंदौर में चुनाव एकतरफा हो गया था। उस सीट पर भाजपा के शंकर लालवानी पौने 12 लाख वोट से जीते हैं। यह भारत में लोकसभा चुनाव के इतिहास की सबसे बड़ी जीत है। चुनाव आयोग की ओर से जारी नतीजों के मुताबिक भाजपा उम्मीदवार शंकर लालवानी ने इंदौर सीट पर 11,75,092 वोट के विशाल अंतर से चुनाव जीत कर रिकॉर्ड...

  • इंदौर में कांग्रेस का नोटा अभियान नहीं चला

    मध्य प्रदेश की इंदौर लोकसभा सीट पर भाजपा वैसा खेला नहीं कर सकी, जैसा उसने गुजरात की सूरत सीट पर किया था। इंदौर में भी कांग्रेस उम्मीदवार ने पर्चा वापस ले लिया था लेकिन समय रहते सभी निर्दलीय और छोटी पार्टियों के उम्मीदवारों की नाम वापसी नहीं हुई, जिससे मतदान की नौबत आ गई। इंदौर लोकसभा सीट पर सोमवार यानी 13 मई को मतदान हुआ। इससे पहले कांग्रेस ने अभियान चलाया था कि उसके समर्थकों को नोटा पर वोट करना चाहिए। कांग्रेस ने एक तरह से नोटा को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया। हालांकि एक बड़ा वर्ग यह कहता रहा...

  • चुनावी हाँके में सूरत और इंदौर में काँग्रेस तो वीरभूम में बीजेपी

    भोपाल। 1952 में हुए पहले आम चुनावों में प्रचार पैदल या साइकिल अथवा रिक्शा और तांगे से हुआ करता था। सभी पार्टियों की मत पेटियां उनके चुनाव चिन्ह के साथ एक बड़ी सी मेज पर रखी जाती थी। ये मतपेटियां दफ्ती की होती थी। चुनाव में गहमा – गहमी से भाषणबाजी और बिल्ले बाँट कर उम्मीदवार मतदाताओं से वोट का सहयोग मांगता था। उस समय सड़कों पर नारे लगाते एक दो नौजवान और उनके पीछे बच्चे उन नारों को दुहराते या हामी भरते थे। 1952, 1957, 1962, 1967 तक माहौल शांतपूर्ण ही था आजकल की परिभाषा से। 1967 में राज्यों...

  • इंदौर के कांग्रेस प्रत्याशी ने पर्चा वापस लिया

    इंदौर। सूरत के बाद मध्य प्रदेश के इंदौर में कांग्रेस को झटका लगा है। इंदौर से कांग्रेस के प्रत्याशी ने नाम वापसी के आखिरी दिन अपना नामांकन वापस ले लिया। इतना ही नहीं कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर नामांकन दाखिल करने वाले अक्षय कांति बम सोमवार को पर्चा वापस लेकर भाजपा में शामिल हो गए। राज्य सरकार के मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और भाजपा विधायक रमेश मेंदोला के साथ कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कलेक्टर कार्यालय पहुंचे। नामांकन वापस लेने के बाद वे भाजपा में शामिल हो गए। गौरतलब है कि सूरत में कांग्रेस उम्मीदवार भाजपा से मिल गया और अपना ही परचा...

  • इंदौर में,कैलाश विजयवर्गीय के लिए मोदी का रोड शौ!

    कैलाश विजयवर्गीय खांटी इंदौरी हैं। वे तब के इंदौरी हैं, जब यह शहर इतना चमकदार, इतना समृद्ध और इतना ग्लैमरस नहीं था।जबकि अब यह शहर जयपुर से कहीं आगे और पुणे से मुकाबले के लिए तैयार है। मेयर के रूप में इंदौर की नई शुरूआत वालों में विजयवर्गीय पहले थे।सो वे सारे शहर को जानते हैं, और सारा शहर उन्हें जानता है। और हकीकत है कि कैलाश विजयवर्गीय ने अपने 40 साल के राजनीतिक करियर में कभी हार का मुंह नहीं देखा। सन् 1990 से लेकर 2013 तक उन्होंने इंदौर शहर की अलग-अलग सीटों से लगातार छह विधानसभा चुनाव लड़े...

  • गैंगस्टर आरोपी इंदौर से गिरफ्तार

    कैलाश विजयवर्गीय खांटी इंदौरी हैं। वे तब के इंदौरी हैं, जब यह शहर इतना चमकदार, इतना समृद्ध और इतना ग्लैमरस नहीं था।जबकि अब यह शहर जयपुर से कहीं आगे और पुणे से मुकाबले के लिए तैयार है। मेयर के रूप में इंदौर की नई शुरूआत वालों में विजयवर्गीय पहले थे।सो वे सारे शहर को जानते हैं, और सारा शहर उन्हें जानता है। और हकीकत है कि कैलाश विजयवर्गीय ने अपने 40 साल के राजनीतिक करियर में कभी हार का मुंह नहीं देखा। सन् 1990 से लेकर 2013 तक उन्होंने इंदौर शहर की अलग-अलग सीटों से लगातार छह विधानसभा चुनाव लड़े...

  • इंदौर के मंदिर में रामनवमी पर बड़ा हादसा, 30 की मौत

    कैलाश विजयवर्गीय खांटी इंदौरी हैं। वे तब के इंदौरी हैं, जब यह शहर इतना चमकदार, इतना समृद्ध और इतना ग्लैमरस नहीं था।जबकि अब यह शहर जयपुर से कहीं आगे और पुणे से मुकाबले के लिए तैयार है। मेयर के रूप में इंदौर की नई शुरूआत वालों में विजयवर्गीय पहले थे।सो वे सारे शहर को जानते हैं, और सारा शहर उन्हें जानता है। और हकीकत है कि कैलाश विजयवर्गीय ने अपने 40 साल के राजनीतिक करियर में कभी हार का मुंह नहीं देखा। सन् 1990 से लेकर 2013 तक उन्होंने इंदौर शहर की अलग-अलग सीटों से लगातार छह विधानसभा चुनाव लड़े...

  • आग में झुलसे इंदौर कॉलेज के प्रिंसिपल की मौत

    कैलाश विजयवर्गीय खांटी इंदौरी हैं। वे तब के इंदौरी हैं, जब यह शहर इतना चमकदार, इतना समृद्ध और इतना ग्लैमरस नहीं था।जबकि अब यह शहर जयपुर से कहीं आगे और पुणे से मुकाबले के लिए तैयार है। मेयर के रूप में इंदौर की नई शुरूआत वालों में विजयवर्गीय पहले थे।सो वे सारे शहर को जानते हैं, और सारा शहर उन्हें जानता है। और हकीकत है कि कैलाश विजयवर्गीय ने अपने 40 साल के राजनीतिक करियर में कभी हार का मुंह नहीं देखा। सन् 1990 से लेकर 2013 तक उन्होंने इंदौर शहर की अलग-अलग सीटों से लगातार छह विधानसभा चुनाव लड़े...

  • इंदौर में होने वाली जी-20 बैठक की तैयारियां जारी

    कैलाश विजयवर्गीय खांटी इंदौरी हैं। वे तब के इंदौरी हैं, जब यह शहर इतना चमकदार, इतना समृद्ध और इतना ग्लैमरस नहीं था।जबकि अब यह शहर जयपुर से कहीं आगे और पुणे से मुकाबले के लिए तैयार है। मेयर के रूप में इंदौर की नई शुरूआत वालों में विजयवर्गीय पहले थे।सो वे सारे शहर को जानते हैं, और सारा शहर उन्हें जानता है। और हकीकत है कि कैलाश विजयवर्गीय ने अपने 40 साल के राजनीतिक करियर में कभी हार का मुंह नहीं देखा। सन् 1990 से लेकर 2013 तक उन्होंने इंदौर शहर की अलग-अलग सीटों से लगातार छह विधानसभा चुनाव लड़े...

  • इंदौर में पकड़ी गई युवती के मामले में सरकार गंभीर

    कैलाश विजयवर्गीय खांटी इंदौरी हैं। वे तब के इंदौरी हैं, जब यह शहर इतना चमकदार, इतना समृद्ध और इतना ग्लैमरस नहीं था।जबकि अब यह शहर जयपुर से कहीं आगे और पुणे से मुकाबले के लिए तैयार है। मेयर के रूप में इंदौर की नई शुरूआत वालों में विजयवर्गीय पहले थे।सो वे सारे शहर को जानते हैं, और सारा शहर उन्हें जानता है। और हकीकत है कि कैलाश विजयवर्गीय ने अपने 40 साल के राजनीतिक करियर में कभी हार का मुंह नहीं देखा। सन् 1990 से लेकर 2013 तक उन्होंने इंदौर शहर की अलग-अलग सीटों से लगातार छह विधानसभा चुनाव लड़े...

  • इंदौर में कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल का शुभारंभ

    कैलाश विजयवर्गीय खांटी इंदौरी हैं। वे तब के इंदौरी हैं, जब यह शहर इतना चमकदार, इतना समृद्ध और इतना ग्लैमरस नहीं था।जबकि अब यह शहर जयपुर से कहीं आगे और पुणे से मुकाबले के लिए तैयार है। मेयर के रूप में इंदौर की नई शुरूआत वालों में विजयवर्गीय पहले थे।सो वे सारे शहर को जानते हैं, और सारा शहर उन्हें जानता है। और हकीकत है कि कैलाश विजयवर्गीय ने अपने 40 साल के राजनीतिक करियर में कभी हार का मुंह नहीं देखा। सन् 1990 से लेकर 2013 तक उन्होंने इंदौर शहर की अलग-अलग सीटों से लगातार छह विधानसभा चुनाव लड़े...

  • इंदौर की जीआईएस में 65 देशों के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे

    कैलाश विजयवर्गीय खांटी इंदौरी हैं। वे तब के इंदौरी हैं, जब यह शहर इतना चमकदार, इतना समृद्ध और इतना ग्लैमरस नहीं था।जबकि अब यह शहर जयपुर से कहीं आगे और पुणे से मुकाबले के लिए तैयार है। मेयर के रूप में इंदौर की नई शुरूआत वालों में विजयवर्गीय पहले थे।सो वे सारे शहर को जानते हैं, और सारा शहर उन्हें जानता है। और हकीकत है कि कैलाश विजयवर्गीय ने अपने 40 साल के राजनीतिक करियर में कभी हार का मुंह नहीं देखा। सन् 1990 से लेकर 2013 तक उन्होंने इंदौर शहर की अलग-अलग सीटों से लगातार छह विधानसभा चुनाव लड़े...

  • अव्यवस्था से भड़के प्रवासी भारतीय

    कैलाश विजयवर्गीय खांटी इंदौरी हैं। वे तब के इंदौरी हैं, जब यह शहर इतना चमकदार, इतना समृद्ध और इतना ग्लैमरस नहीं था।जबकि अब यह शहर जयपुर से कहीं आगे और पुणे से मुकाबले के लिए तैयार है। मेयर के रूप में इंदौर की नई शुरूआत वालों में विजयवर्गीय पहले थे।सो वे सारे शहर को जानते हैं, और सारा शहर उन्हें जानता है। और हकीकत है कि कैलाश विजयवर्गीय ने अपने 40 साल के राजनीतिक करियर में कभी हार का मुंह नहीं देखा। सन् 1990 से लेकर 2013 तक उन्होंने इंदौर शहर की अलग-अलग सीटों से लगातार छह विधानसभा चुनाव लड़े...

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